Thursday, November 26, 2009

मुझे हीं, अकेले !

ये दर्द मेरा है

मुझे हीं
बहना होगा
कटे नब्जों से
पहले धार में और फिर
टप-टप, टप-टप


मुझे हीं
गिरना होगा
उस ऊँचे पहाड़ से
लगायी हुई छलांग में
और उस वक़्त मेरा भार
दर्द के भार उतना हीं होगा

मुझे हीं
चले जाना होगा
किसी दिन अँधेरे मुंह उठकर
चुप-चाप
समंदर में
बिना पीछे मुडे


मुझे हीं
जलना होगा
हथेली पे बार-बार छुआई गयी
जलती सिगरेट से
और छटपटाना होगा
मुझे हीं हर बार


ये दर्द मेरा है
मुझे हीं गुजरना होगा इससे
चाहे जैसे गुजरूँ मैं ,
मैं जानता हूँ
तुम साथ नहीं होगी मेरे!

Monday, November 23, 2009

आ रहा हूँ...

कुछ नए किरदार चाहिए थे अपनी कविताओं के लिए सो किसी ने कुछ किताबें सजेस्ट की पढने को....किसी ने देखा कि अक्सर दुःख मुझे घेर लेता है तो उसने कुछ और कर दीं...मैं जरा पढ़ कर आ रहा हूँ। शायद थोड़ा वक्त लग जाए, मैं जरा धीरे पढता हूँ. आप भी पढ़ सकते हैं गर कोई टाइटल अच्छा लग जाए तो....बाकी ब्लॉग जगत पे पढने के लियेतो अथाह है हीं॥ अगर कमेन्ट देना चाहें तो अपनी पसंद की एक सबसे अच्छी किताब का नाम दे सकते हैं...
1।

HOW TO HAVE A BEAUTIFUL MIND.
==============================
use the power of creative thinking to become more attractive with a makeover for your mind!
written by EDWARD DE BONO
2.
SIX THINKINKING HATS.
=====================
the six thinking hats method may well be improve the most important change in human thinking for the past twenty three hundred years.
written by EDWARD DE BONO
3.
YOUR CREATIVE POWER
=====================
how to use imagination to brighten life and get ahead.
written by ALEX OSBORN .
4.
THE PATH TO LOVE
================
spiritual lessons for creating the love you need.
written by DEEPAK CHOPRA
5.
SECRETS OF THE MILLIONAIRE MIND
==================================
mastering the inner game of wealth
written by T.HARV EKER
6.
BRINDA
=========
this is story of Brinda,a young Irish girl,and her quest for knowledge.On her journey she meets a wise man who teaches her about overcoming her fears,and a woman teaches her how to dance to the hidden music of the world.They seein her a gift,but must let her own voyage of discovery.
"but how will i know who my soulmate is?"'By taking risks 'she said to Brinda'.
'by risking failure ,disappointment,disillusion,,but never ceasing in your search for love .As long as you keep looking ,you will triumph in the end.'
written by PAULO COELHO
=======================
7.
A THOUSAND SPENDID SUNS
========================
one of the story teller and the best selling auther of THE KITE RUNNER.
wrtten by KHALED HOSSEINI.
8.
CREATIVE VISUALIZATION
=======================
use the power of your imagination to creat what you want in your life
written by SHAKTI GAWAIN .
9.
KARMA COLA
==========
'there is a enough crazy characters, stories,and wild scenes here for several novels, and entire book offers........the real juice and color of modern India seen from the inside.'Library journal
===============
written by GITA MEHTA
10.
THE GREATNESS GUIDE
===================
This is a strikingly powerful and enormously practical handbook that will inspire you
to get to world class in both your personal and professional life.
written by
ROBIN SHARMA
11.
NOTES FROM A FRIEND
===================
more than a note from a friend -an indispensable guide.
written by
ANTHONY ROBBINS
12.
STEPHEN HAWKING A LIFE IN SCIENCE
=================================
biography of well known scientist
written by
MICHAEL WHITE N JOHN GRIBBIN
13.
DIFFICULT DAUGHTERS
===================
difficult daughters story of a woman torn between ,family duty,the desire for education ,and illicit love.winner of the 1999 commonwealth writers prize.
written by
MANJU KAPUR
14.
MAN'S SEARCH FOR MEANING
===========================
Internationally renowned psychiatrist Viktor E.Frankl endured years of unspeakable horror in Nazi death camps.During,and partly because of,his suffering,Dr.Frankl developed a revolutionary approach t psychotherapy known as logotherapy. At the core of his theory is the belief that man's primary motivational force is his search for meaning.
written by
VIKTORE E.FRANKL
15.
LOVE STORY
===========
written by
ERICH SEHGAL
16.
HOLY COW
=========
An Indian adventure
SARAH MACDONALD
17.
THE DEVINCI CODE
================
read the book and be enlightened
written by
DAN BROWN
18.
THE MAGIC OF THINKING BIG
=========================
learn the secrets of success--magnify your thinking patterns and achieve
everything you have always wanted.
written by
DAVID J.SCHWARTZ
19.
FAMILY WISDOM
==============
nurturing the leader within your child
written by
ROBIN SHARMA
20.
YOU CAN WORK YOUR OWN MIRACLES
==============================
how to condition yourself for success
written by
NAPOLEON HILL
21.
THE DA VINCI CODE
=================
a pulse-quickening,brain-teasing,adventure......a new master of smart thrills.
written by
DAN BROWN

Saturday, November 21, 2009

***

*
तेरी अश्कों की
बूँदें देख के
यूँ लगा,

कि
हैं तो वे समंदर हीं ,
सिर्फ किनारे छोटे हैं उनके।

*
जिसका पूरा था मैं
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते,
जो मेरी थी ही नहीं।

*
आज की रात
मैं, तुम
और ये फिसलपट्टी

तुम और कुछ लाना चाहती हो तो
बता देना

Thursday, November 19, 2009

तुम्हारा मुबारक जन्म दिन मनाया जाए हर शाख पर!

अभी से कुछ देर बाद जब तारीख बदलेगी
तुम्हारा जन्म दिन हो जाएगा

वक्त के इस लम्हें में
मैं सोंच रहा हूँ
कि भेंट करूँ तुम्हें एक स्वप्न जैसी कविता
तुम्हारे जन्म दिन पर

मैं बाहर जा कर देख आया हूँ
चाँद नही है कहीं आसमान पर
पर कहीं से भी खोज कर
खींच लाना चाहता हूँ कविता में उसे
और बारिश को भी
क्यूंकि हमारी सबसे ज्यादा यादें
चाँद और बारिश को लेकर हैं

इससे पहले कि
मुझे नींद आ जाए
मैं सूरज से भी कह देना चाहता हूँ
कि कल वो खुशनुमा उगे
और सहलाए अपने नाजुक धुप भरे हाथों से तुम्हें

नींद नही आ पायी है
मैं यादों के तहखाने में दूर चला गया था
और रास्ता भूलने का नाटक करके देर तक रहा वहां
मुझे लगा
आज तुम्हारे साथ हीं होना चाहिए मुझे
जब तक कि ये तारीख फ़िर न बदल जाए

भोर हो आयी है,
सूरज गढ़ रहा है
तुम्हारे जन्म दिन कि सुबह
कुम्हार की मिटटी लगी है उसके हाथों में
और मैं अभी भी ढूंढ रहा हूँ
दुनिया की वो सबसे बेहतरीन चीजें
जिससे गढ़ी जा सके एक बिल्कुल नायाब कविता
क्यूंकि उपहार में कवितायें पसंद हैं तुम्हें

इस वक्त जब किरणें उग रही हैं खेतों में
मैं चाहता हूँ
कि धरती पे जितनी भी कोंपलें उगे
उन सब में तुम पनप जाओ
और हमेशा उपजती रहो उनकी मुस्कानों में
और मैं जानता हूँ
यह तुम्हारे लिए कठिन नही है

जब भी उगे कोई कोंपल नाजुक सी
तो वो तुम्हारा जन्म दिन हो
तुम्हारा मुबारक जन्म दिन मनाया जाए हर शाख पर

जन्म दिन मुबारक हो तुम्हें !

( ये १६ नवम्बर कि रात है और सुबह होने तक १७ नवम्बर है )

Tuesday, November 17, 2009

क्यूँ टूट गये???

वो रिश्ते जिनके बीज
ख्वाब में गिर कर हीं रह गये
मेरी माटी नही छू पाए
उन रिश्तों की पौध
ऊग आई है
आज मेरे सूने आंगन के एक कोने में

मैं हाथ नही लगाता
उनकी पाकीज़ा कोंपलों पे,
डरता हूँ, अपने हक के बारे में सोंच कर.

सिर्फ सुनने की कोशिश करता हूँ उन्हे
हाथ में आ जाए शायद कोई स्वर.

वे खुल कर बोलती नही


चुपके से दलील मांगती हैं,
सवाल पूछती हैं कि क्या हुआ,
क्यूँ टूट गये
जरा सा करवट बदलने में हीं ???

Friday, November 13, 2009

तिनका

कुछ मैं नही छोड़ पाया था
कुछ
वो भी नही छोड़ पाई थी
और
इस तरह हम छूट गये थे
एक दूसरे से

जब धार पे ख़ड़ा हो
तो कितनी देर रुका रह सकता है
कोई बिना बहे,
और उस धार में तो हम तिनकों जैसे थे.

वो जो हम नही छोड़ पाए थे तब
वो सब भी छूट गये धीरे धीरे
वक़्त ने नयी – नयी धारें बनाई आगे फिर

……………………………….
…………………………………

आदमी तो तिनका ही है
और धारें तो बदलती रहती हैं.

Wednesday, November 11, 2009

ऐसा नही है कि ये धुंध नया है !!

ऐसा नही है कि ये धुंध नया है
धुंध होते आए हैं
और आँखें मात खाती रही हैं

जब जाड़े के दिनों में
साइकिल पे निकला करता था
सुबह-सुबह ट्यूशन के लिए,
ये धुंध तब भी किया करती थी परेशान

ये धुंध तो हटाये नही हटती थी
जब बारहवीं की परीक्षा में
पहले निस्कासित और फिर बाद में
अनुतीर्ण होना हो गया था

इस धुंध ने हाथ पकड़ लिए थे मेरे
जब एक उमरदराज़ औरत के प्रेम में था
और निकलना चाहता था
और तब भी जब मुझे पड़ने लगे थे
मिर्गी के दौड़े अचानक से

पढ़ाई पूरी होने के बाद
रोजगार की तलाश में
जब निकल आया था घर से मैं
तब भी बिल्कुल यही धुंध छाई हुई थी चेहरे पे

आज भी धुंध हैं कुछ
और मैं जानता हूँ आगे भी रहेंगे ये
क्यूँकि जिंदगी बिना धुंधों के सफर नही करती

अभी तक के सारे धुंधों से तो
निकाल लाए हो तुम,
ऊँगली पकड़े रखा है मेरा
और अकसर पूछते हो
कि मैं कहीं लडखड़ा तो नही रहा
और आश्वस्त हो जाते हो जान कर कि मैं सकुशल हूँ.

पर मैं सोंचता हूँ उन दिनो के बारे में
जब धुंध तो होगी, पर तुम नही रहोगे

तब मैं कैसे निकलूँगा उन धुंधों से पापा !!!

Monday, November 9, 2009

बारिश में दास्तान

१)
बीच-बीच में
बिलकुल साफ़-शफ्फाक मौसम
और फिर
कभी हलकी, तो कभी
दनदनाती आती तेज बारिश...

आज मुझे,
सुना रहा था,
दास्ताँ-ए-इश्क बादल!

२)
मेरे कमरे की
कालीन तक पहुँच गया है समंदर
और लहरें उसकी
बार-बार मेरे बिस्तर को छूने लगी हैं

साहिल टूट तो नही जाएगा

3)
तुमने पोंछ दी थी
जो नज़्म लिख के कागज़ पे कल
उसमें मेरा भी नाम था शायद...

आज अखबार में मेरे लापता होने की
ख़बर आई है

४)
कल रात उसके ख्वाब ने
रंगे हाथों पकड़ा मुझे

मैंने पकड़ी हुई थी कलाई
किसी और ख्वाब की

५)
ओस की बूंदों में
थी आंसुओं सी गरमाहट

पता नही रात किस लिए रोई थी

Saturday, November 7, 2009

रजाई कम पड़ गयी है...

नींद औंधा पड़ा है
रजाई में सिकुड़ कर,
इस तरह जैसे सर्दी ज्यादा हो
और रजाई कम पड़ गयी हो

बाहर,
आंगन में
नींद से बिछुड़े हुए ख्वाब
टूट-टूट कर
गिर रहे हैं
कुछ हीं देर में नींद नंगी हो जायेगी शायद

निहायत कमजोर सा कोई वक़्त
अपने टखने में
दर्द लिए चल रहा है,
शायद अपने बुढापे में है.

आईने में
जब देखती हैं आँखें
दिखाई पड़ती हैं
कुछ सफ़ेद पपनियाँ

ऐसे में मैं ढूंढता फिरता हूँ
तुम्हारे हाथों से
बनायी हुई
एक कप कड़क काली चाय

ऐसा तबसे है जबसे
तुम छोड़ गयी हो मेरा किचेन !

Wednesday, November 4, 2009

अगर कहीं इन्साफ है !

वे कौन सी आत्माएं होंगी
जो होंगी
अगले जन्म में कुपोषित, भूखी
और मृत्यु के किनारे पे उनके शरीर

जिनके शरीरों के पेट फूले हुए होंगे
हाथ बदन से लटके
आँखें भूख में एकटक
और पसलियाँ छाती के बाहर
आ रही होंगी,
वे कौन सी आत्माएं होंगी

कौन सी आत्माएं होंगी २०५० में
जिनके शरीरों पे टिकाई नही जा सकेगी
जरा देर भी नजर

अगर कहीं इन्साफ है
तो ये वो आत्माएं होंगी
जो जिम्मेवार हैं वन और वन्य जीव के लुप्त होते जाने के
प्रदुषण के
खेतों के बंजर होते जाने के
और आखिरकार जलवायु परिवर्तन के लिए

Monday, November 2, 2009

मेरी अधूरी संवेदनाएं !!!

चीखों में हीं बोलती हैं
ये वेदनाएं
या रहती हैं चुपचाप आँख फाड़े अवाक

समझ में नहीं आती ये वेदनाएं
क्यूँ-कहाँ-कैसे-कब

जहां तक भी देखना हो पाता है
दिख जाती हैं ये
बिखरी पड़ी हुईं
गोल, चौकोर या लम्बोतरे चेहरे में

घर की चाहरदीवारी पे बैठी हुई कभी,
कभी रसोई घर के बाजू में खड़ी
कचरा घर के आस-पास भी
घर के कोनो में, दरवाजे के पीछे,
दराजों के नीचे
कभी सड़क के किनारे या रेलवे प्लेटफार्म पर
और न मालुम कहाँ और कब-कब

मैं बैठता हूँ अक्सर इन वेदनाओं के बाजू में
और कोशिश करता हूँ
सुनने की उनकी चीखों में उलझे सूखे शब्दों कों
और पूछता हूँ जब वे मिल जाती हैं अवाक
कि कौन हैं वे
पर नहीं मालुम क्या बोलती हैं ये वेदनाएं

जब तक नहीं समझ लूं इन्हें मैं
नहीं पूरी होंगी
मेरी संवेदनाएं!