tag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post2186451967800860179..comments2023-10-30T15:07:23.924+05:30Comments on अंतर्नाद : जरूरतें रात के वक़्त ज्यादा रोती थींओम आर्यhttp://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-3608074745605235582010-06-12T18:16:02.574+05:302010-06-12T18:16:02.574+05:30aapki rachnaa.......logo k haalat se rubaroo karaa...aapki rachnaa.......logo k haalat se rubaroo karaati hai......bht badhiya......shubhkamnayeinAmit Kumar Sendanehttps://www.blogger.com/profile/09097372313734761009noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-50662312044338185952010-05-23T21:55:41.283+05:302010-05-23T21:55:41.283+05:30बहुत ही सुन्दर, मार्मिक रचना ! हर एक शब्द दिल को छ...बहुत ही सुन्दर, मार्मिक रचना ! हर एक शब्द दिल को छू गयी!Ashish (Ashu)https://www.blogger.com/profile/17298075569233002510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-12842840248786929072010-05-22T15:09:57.116+05:302010-05-22T15:09:57.116+05:30आज मैं बड़े दिन बाद आया तो देख हतप्रभ रह गया...
ऐस...आज मैं बड़े दिन बाद आया तो देख हतप्रभ रह गया...<br />ऐसी काव्य धार चली यहाँ पर सारे बाँध उखड गए.... क्या सरकारी आकड़े क्या सड़क के किनारे सपने... सब बह गए.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-19045851604445901932010-05-20T17:27:29.210+05:302010-05-20T17:27:29.210+05:30मुद्दत बाद पढ़ रहा हूँ आपको ! अपूर्व की बात से सहमत...मुद्दत बाद पढ़ रहा हूँ आपको ! अपूर्व की बात से सहमत हूँ सर्वथा ! <br />इस अद्भुत रचना के लिये शुक्रिया !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-6484159413887990702010-05-20T15:37:47.602+05:302010-05-20T15:37:47.602+05:30बेहद ही अनुपम और सुन्दर रचना । बहुत प्रभावित किया...बेहद ही अनुपम और सुन्दर रचना । बहुत प्रभावित किया आपकी रचना ने । बहुत ही कम मिलती है इतनी उम्दा रचनाएं पढने को । आपका कोटिश: आभार ।।Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-22737661408285876612010-05-19T11:58:24.233+05:302010-05-19T11:58:24.233+05:30आज दिनों बाद अपने प्रिय कवि की कविता पे लौटा तो अप...आज दिनों बाद अपने प्रिय कवि की कविता पे लौटा तो अपने कवि का नया ही अवतार सामने दिखा।<br /><br />बेआवाज लाठी के मार-सी ये कविता...<br /><br />वैए व्यक्तिगत रूप से मुझे वो प्रेम में डूबा हुआ "ओम आर्य" ही ज्यादा पसंद आता है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-26662134902297794912010-05-17T12:10:56.311+05:302010-05-17T12:10:56.311+05:30..उनके सपने नीचे गिर कर टूट जाते थे
और तब उनकी जरू.....उनके सपने नीचे गिर कर टूट जाते थे<br />और तब उनकी जरूरतें ज्यादा रोती थीं...<br /><br />वाह!सुन्दर भावाव्यक्ति!<br />ओम जी "सच में" पर अब का स्नेह देखने को नहीं मिलता!ktheLeo (कुश शर्मा)https://www.blogger.com/profile/03513135076786476974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-43088668580255952822010-05-15T11:47:51.351+05:302010-05-15T11:47:51.351+05:30पिछले कई सालों में अपने वर्ग द्वारा कही गयी सर्वश्...पिछले कई सालों में अपने वर्ग द्वारा कही गयी सर्वश्रेष्ठ कविता...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-64241984568814306132010-05-15T10:58:28.885+05:302010-05-15T10:58:28.885+05:30ये वो कविता है जिसे मैं कहती हूँ सीधी --- इतनी कि ...ये वो कविता है जिसे मैं कहती हूँ सीधी --- इतनी कि बेध जाए दिल को अंदर तक... और चीरकर रख दे आपके अंतर्मन को ...muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-72991820064255415832010-05-15T01:12:29.461+05:302010-05-15T01:12:29.461+05:30आपकी कविताओं का रुझान अब वैयक्तिक से हटते हुए समाज...आपकी कविताओं का रुझान अब वैयक्तिक से हटते हुए समाजपरक होता जा रहा है..यह अद्भुत कविता इस बात का साक्षात प्रमाण है..<br />कुछ समय पहले कहीं पर ऐसे ही सरकारी आँकड़ों की बाजीगरी के बारे मे पढ रहा था..कि कैसे प्रसव-संबंधी-मृत्यु की परिभाषा मे तनिक हेर-फ़ेर कर के ही बिना किसी प्रयास के आँकड़ों को घटा कर सुविधाजनक स्तर पर लाया जा सकता है...दरअस्ल हम सांख्यिकीय आँकड़ों की चाशनी मे पगने वाले समाज हैं..जहाँ किसी मेले मे भगदड़ मे एक साथ ४० लोगों के कुचल जाने पर पूरा मीडिया-तंत्र और हम सब सक्रिय रूप से चिंतित ओ जाते हैं..मगर वही पचास दिन तक हर रोज एक आदमी के कुचल कर मरने से हमें कोई नैतिक बदहजमी नही होती..बल्कि पता तक नही चलता..मृत्यु, गरीबी, विस्थापन, अन्याय, बेरोजगारी सब हमारे लिये आँकड़ों का खेल हैं..तभी जब आप कहते हैं कि<br /><br />दुःख को झुनझुने की तरह काम लेने वाली<br />ये एक अलग दुनिया थी<br /><br />..तब हम समझ पाते हैं कि यह अलग दुनिया ही दरअसल हमारी दुनिया है..जिसमे हम रेत मे सर गाड़े हुए पड़े रहते हैं..और दुःख के झनझुने हमारे जख्मों को भुलावे मे रखने के काम आते हैं..<br /><br />कविता की ईमानदारी भरी तटस्थता ही उद्वेलित करती है..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-11604379042161986422010-05-14T16:34:13.891+05:302010-05-14T16:34:13.891+05:30" और जब सपने टूट जाते थे ,
और जरूरते रोती थी ..." और जब सपने टूट जाते थे ,<br />और जरूरते रोती थी ,<br />तब सरकार सपनों की गिनती कर,<br />जरूरतों के हिसाब से कागज पर,<br />आंकडे भरती थी..........Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-10440489829195811052010-05-14T13:06:03.877+05:302010-05-14T13:06:03.877+05:30bahut badhiya om bhaibahut badhiya om bhaiसुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-31995461374164528342010-05-13T18:49:57.738+05:302010-05-13T18:49:57.738+05:30यह हुई कविता भाई
नई कविता.. एकदम तेजधार और धारधार।...यह हुई कविता भाई<br />नई कविता.. एकदम तेजधार और धारधार।<br />आप यूं ही लिखते रहे। असल जनता के पक्ष में।राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-77332564429343607232010-05-13T12:32:03.048+05:302010-05-13T12:32:03.048+05:30bahut khoobsurat rachna haibahut khoobsurat rachna haiRazi Shahabhttps://www.blogger.com/profile/13193897476357715971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-16371211499295209652010-05-13T12:01:45.944+05:302010-05-13T12:01:45.944+05:30बहुत ही तीखा और कटु सत्य लिखा है।बहुत ही तीखा और कटु सत्य लिखा है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-1220707865050326592010-05-13T11:54:31.786+05:302010-05-13T11:54:31.786+05:30kya baat hein , bahut hi khub .kya baat hein , bahut hi khub .Shiv Kumar Sahilhttp://sahilorshayari.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-2190700733691463082010-05-13T04:32:24.259+05:302010-05-13T04:32:24.259+05:30जबरदस्त चोट - वाह!! क्या प्रस्तुति है. बहुत खूब ओम...जबरदस्त चोट - वाह!! क्या प्रस्तुति है. बहुत खूब ओम भाई!!<br /><br /><br /><br />एक विनम्र अपील:<br /><br /><b>कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें. </b><br /><br />शायद लेखक की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास इस वजह से उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.<br /><br />हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.<br /><br />-समीर लाल ’समीर’Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-55189144103944717012010-05-13T00:43:02.017+05:302010-05-13T00:43:02.017+05:30इसबार एक अलग सा तेवर लिए आपकी चिंताएँ शोषितों की क...इसबार एक अलग सा तेवर लिए आपकी चिंताएँ शोषितों की करुण कथा कह रही है आपकी कलम ।सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-24375126926342205452010-05-13T00:32:09.455+05:302010-05-13T00:32:09.455+05:30ओम जी दिल मसोस कर रख दिया आपने
कटार चलाती हुई रच...ओम जी दिल मसोस कर रख दिया आपने <br /><br />कटार चलाती हुई रचना हैवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-46935078845963522592010-05-13T00:07:42.089+05:302010-05-13T00:07:42.089+05:30बहुत सुन्दर, बहुत ही करारा व्यंग्य है, अन्दर तक झक...बहुत सुन्दर, बहुत ही करारा व्यंग्य है, अन्दर तक झकझोर दिया, मार्मिक रचना!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-31545974276946519992010-05-12T23:28:28.696+05:302010-05-12T23:28:28.696+05:30बड़ा घुमावदार काम किया है ओमजी !
बहुत उम्दा काव...बड़ा घुमावदार काम किया है ओमजी !<br /><br />बहुत उम्दा काव्य के लिए बहुत सी बधाइयां.........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-70564875742844339712010-05-12T22:12:57.099+05:302010-05-12T22:12:57.099+05:30Har bade shahar me yahi nazaren hain!
Bahut hi sas...Har bade shahar me yahi nazaren hain!<br />Bahut hi sashakt rachna!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-46117669034253004672010-05-12T21:41:43.611+05:302010-05-12T21:41:43.611+05:30उनके सपने नीचे गिर कर टूट जाते थे
और तब उनकी जरूरत...उनके सपने नीचे गिर कर टूट जाते थे<br />और तब उनकी जरूरतें ज्यादा रोती थीं<br />जरूरतें जिनके पास हों वे सपने ही क्यों देखते हैं!!!<br />सपनों का हश्र यही होना था.<br />बहुत संजीदा रचना. विकास की, और सरकारी आँकड़ों की बखिया उधेड़ती. और फिर आँकड़ों और हकीकत में आखिर सम्बन्ध ही कहाँ है.<br />बेमिसाल रचनाM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-40476874416634567772010-05-12T21:40:50.127+05:302010-05-12T21:40:50.127+05:30vicharotejak rachnavicharotejak rachnaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-66386232919832454282010-05-12T21:17:50.196+05:302010-05-12T21:17:50.196+05:30पता नहीं क्यों इस रचना को पढ़ते ही मेरी आँखों के स...पता नहीं क्यों इस रचना को पढ़ते ही मेरी आँखों के सामने लखनऊ आ गया,खैर हमेशा की तरह सोचने पर मजबूर करती रचनाsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.com