tag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post4910684393881894582..comments2023-10-30T15:07:23.924+05:30Comments on अंतर्नाद : बढ़ते तापमान में गुलदाउदी, गेंदा और गुलाबओम आर्यhttp://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-67484040282661045882010-04-26T00:18:44.802+05:302010-04-26T00:18:44.802+05:30आपकी यह कविता हिंद-युग्म पर आते ही पढ गया था..और द...आपकी यह कविता हिंद-युग्म पर आते ही पढ गया था..और देर से ही सही मगर टीप भी आया था..इसे दोबारा परिवर्तित रूप पे पढ़ना अनुभव रहा..कुछ अच्छे परिवर्तन हैं मगर हमें तो पिछली वाली कविता की अंतिम पंक्तियाँ ज्यादा हांटिग लगी थी..खैर यहां पर पुनः<br />बढ़िया अभिव्यक्ति, बधाई!!:-)अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-79990098289608224592010-04-21T19:18:03.931+05:302010-04-21T19:18:03.931+05:30बेहतरीन ! हर बार की तरह अन्तर तक प्रवेश करने वाली ...बेहतरीन ! हर बार की तरह अन्तर तक प्रवेश करने वाली ! <br />प्रस्तुति का आभार !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-1437397346219625682010-04-20T23:48:53.413+05:302010-04-20T23:48:53.413+05:30ओम जी, आपकी चर्चा चिट्ठाचर्चा में अनेकों बार पढ़ी,...ओम जी, आपकी चर्चा चिट्ठाचर्चा में अनेकों बार पढ़ी, पर ईमानदारी से...यहाँ पहली बार आयी हूँ. आपकी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी...कभी फ़ुर्सत में सारी पढूँगी...अभी तो इस एक को ही महसूस कर रही हूँ.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-2577156293083810062010-04-20T15:22:44.823+05:302010-04-20T15:22:44.823+05:30कविता पुरुस्कृत होने लायक ही है बही... हालांकि शुर...कविता पुरुस्कृत होने लायक ही है बही... हालांकि शुरू में कुछ अटपटा लगा था लेकिन आपने बड़ी खुब्सुरुती से संभाला... समसामयिक होने से प्रासंगिकता और बढ़ गयी है... और आपकी शैली भी बखूबी झलक रही है.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-74491326000868071472010-04-19T11:12:35.472+05:302010-04-19T11:12:35.472+05:30" भई वाह" के अलावा कहने को कुछ नही है." भई वाह" के अलावा कहने को कुछ नही है.Meenu Kharehttps://www.blogger.com/profile/12551759946025269086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-25643663970440416542010-04-19T08:29:35.165+05:302010-04-19T08:29:35.165+05:30बेहतरीन रचना लगी!!बेहतरीन रचना लगी!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-25651934394060826792010-04-18T21:12:42.954+05:302010-04-18T21:12:42.954+05:30'वहाँ तक तो सब ठीक है'.......... पर आगे जो...'वहाँ तक तो सब ठीक है'.......... पर आगे जो कुछ हो रहा है या होने वाला है उस पर आपकी नज़र कमाल की है ......... हार्दिक बधाई ॰सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-42995476626955242762010-04-18T12:39:05.537+05:302010-04-18T12:39:05.537+05:30बहुत सुन्दर रचना है...बहुत सुन्दर रचना है...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-87145307286532466772010-04-18T11:46:57.595+05:302010-04-18T11:46:57.595+05:30कब तक देते रहेंगे चढ़ते पारे का साथ
और बढाते रहेंगे...कब तक देते रहेंगे चढ़ते पारे का साथ<br />और बढाते रहेंगे कट्टों की फैक्ट्रियां<br />यही कब तक ही तो पीछा कर रही है पर यह पीछा कब तक .. निजात कब मिलेगी<br />सुन्दर रचनाM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-77966357946706105202010-04-18T11:29:30.602+05:302010-04-18T11:29:30.602+05:30निहायत ही ज़रूरी समसामियक रचना ......................निहायत ही ज़रूरी समसामियक रचना ...................जिंदगी की आपाधापी में मैं भी भूल गया जिंदगी को .........................दरअसल ॐ भाई की यह कविता ज़िन्दगी का अपरिहार्य वर्तमान हैं ..........नतमस्तक हूँ ...............प्रणाम !आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq'https://www.blogger.com/profile/01695360902881473207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7767988490719036904.post-72910314452953762742010-04-18T11:23:26.865+05:302010-04-18T11:23:26.865+05:30namste om bhaiyanamste om bhaiyaआदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq'https://www.blogger.com/profile/01695360902881473207noreply@blogger.com