बारिश होती है
तेरी हंसी से होती है
तर-बतर धरती
पार्क में,
जहाँ जमा हो गया है पानी,
उड़ाते हैं बच्चे
तेरी हंसी के छींटे
एक-दूसरे पर
बच्चे हंसी से नहाते हैं
खिलखिलाते हैं
भाग-दौड़ करते हुए
गिरते हैं वे इधर-उधर
तो बजती है
तेरी हंसी छपाक से
और किनारे पे लगे पेंड़ों के पत्तों से गिर कर
मिल जाती हैं बूंदे हंसी में
तुम हंसती हो
तो उगने और पकने के लिए
जीती रहती है धरती
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तेरी हंसी से होती है
तर-बतर धरती
पार्क में,
जहाँ जमा हो गया है पानी,
उड़ाते हैं बच्चे
तेरी हंसी के छींटे
एक-दूसरे पर
बच्चे हंसी से नहाते हैं
खिलखिलाते हैं
भाग-दौड़ करते हुए
गिरते हैं वे इधर-उधर
तो बजती है
तेरी हंसी छपाक से
और किनारे पे लगे पेंड़ों के पत्तों से गिर कर
मिल जाती हैं बूंदे हंसी में
तुम हंसती हो
तो उगने और पकने के लिए
जीती रहती है धरती
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12 comments:
तुम हंसती हो
तो उगने और पकने के लिए
जीती रहती है धरती
गहन भाव लिए ... बेहद सशक्त रचना
lambe samay baad waapsi :-) achhi rachnaa
बहुत खूब .. उनका हंसना भी क्या क्या कर जाता है ... धरती भी तैयार होती रहती है ...
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति..
बारिश होती है
तेरी हंसी से होती है
तर-बतर धरती.!
सुन्दर...
sundar prastuti--
Awesome !
bhut sundar abhivyakti....badhai
बहुत ही सुन्दर लिखा है..
"आदरणीय श्रीमान |
सादर अभिवादन | यकायक ही आपकी पोस्ट पर आई इस टिप्पणी का किंचित मात्र आशय यह है कि ये ब्लॉग जगत में आपकी पोस्टों का आपके अनुभवों का , आपकी लेखनी का , कुल मिला कर आपकी प्रतीक्षा कर रहा है , हिंदी के हम जैसे पाठकों के लिए .........कृपया , हमारे अनुरोध पर ..हमारे मनुहार पर ..ब्लोग्स पर लिखना शुरू करें ...ब्लॉगजगत को आपकी जरूरत है ......आपकी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा में ...और यही आग्रह मैं अन्य सभी ब्लॉग पोस्टों पर भी करने जा रहा हूँ .....सादर "
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "भूली-बिसरी सी गलियाँ - 10 “ , मे आप के ब्लॉग को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
अत्यंत तरल, सुंदर कविता.
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