कितना समय,
कितना लम्बा, भूरा और इकहरा समय
गुजारने के बाद
मैने फिर से हासिल किया था वो लम्हा,
पहुंचा था उस लम्हे के करीब
जिसके ताप में
खाक होना
अब बस एक लम्हे की बात थी
और...
देखो फिर चूक गया
ये नही कहूंगा कि
तुमने रोक लिया अपनी लपटों में आने देने से मुझे
जरूर उस लम्हे को पार करना इस जन्म की
नियति नही रही होगी
या फिर
उस तरह खाक होना
मुश्किल होता होगा
इस तरह खाक होने से!
2 comments:
एक लम्हे की बात ....
ख़ाक होने की इस ख्वाहिश के क्या कहने
बहुत ख़ूब ...
स्वागत है आपका ...
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