Monday, June 22, 2009

एक थोड़ा ठंढा सूरज उगाना है !

क्या तुमने देखा !!!

सुबह,
मैंने तुम्हारे गार्डेन में
जो धूप की कलमी लगाई है

उसमें पानी देती रहना

एक थोड़ा ठंढा सूरज उगाना है

आने वाले
गर्मियों के मौसम के लिए

तुम कहती रहती हो न
कि ये सूरज आजकल बहुत गर्म रहता है!

24 comments:

Anonymous said...

Nice... bahut sundar.

~Jayant Chaudhary
jayantchaudhary.blogspot.com

Himanshu Pandey said...

प्रकृति के न जाने कितने भाव-व्यापार मानवीय़ होकर प्रकट हो जाते हैं आपकी कविताओं में । आभार इस कविता के लिये ।

Arvind Kumar said...

lagta hai aap bahut prakriti premi hai....aapke kavita se jhalakta hai

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर...

डॉ .अनुराग said...

आमीन!!!

सागर said...

थोडा पानी उसमें मेरी तरफ से भी देना भाई.... वाह भाई वाह वाह!!!

sanjay vyas said...

सख्त ज़रुरत है. सुंदर ओमजी .

दिगम्बर नासवा said...

वाह........... क्या अनूठे अंदाज में प्रसन्न किया है उनको.......... निराला अंदाज है..... लाजवाब लिखा..... ठंडा सूरज उगाना है......नमन आपके सोच की उडान को

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

प्रकृति की निकटता आप से है तो गर्मी मे भी कलमी नही झुलसेगी....

Science Bloggers Association said...

बहुत सुंदर विचार हैं। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, आभार

संध्या आर्य said...
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संध्या आर्य said...

एक थोड़ा ठंढा सूरज उगाना है ..........आपकी यह रचना ने चाँद सी शीतलता बिखेर दी हो मानो पूरे कायनात पे ............इस रचना मे गहरी प्रकृति से लगाव भी दिखती है..........आमीन

संध्या आर्य said...
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नीरज गोस्वामी said...

अद्भुत रचना ओम भाई...वाह...
नीरज

M VERMA said...

Om jee
dhup kee kalmee
achchh laga

मुकेश कुमार तिवारी said...

ओम जी,

क्या खूब नव-उपमा है, धूप की कलमी, ठंड़ा सूरज
अभिन्न कल्पना, मजा आ गया।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

ओम आर्य said...

aap sab ka aashirvaad isi tarah bana raha to, maun ke khali ghar men aur bhi shabd aate rahenge aur main unhe aawaaj ki panah men lata rahunga.
aap sab ka bahut bahut dhanyavaad.

Udan Tashtari said...

क्या बात है, बहुत खूब!!

Unknown said...

omji aapko pranaam karne ka man kar raha hai isliye kar hi leta hoon............

kavita ki tah tak gaya hua kavi hi itni badi baat itne kam shabdon me kah sakta hai
waah !
waah !
____________bahut khoob !

Sajal Ehsaas said...

aaj bahut dil kar raha tha ki aisa kcuh likh sakoon...likh to na paaya,par aapne aisa padhen ka mauka de diya...sachmuch bahut khushee huyee :)


www.pyasasajal.blogspot.com

विवेक said...

बेहतरीन...यूं लगा जहन में उग आया ठंडा सा सूरज...सब कह दिया आपने...

Abhishek Ojha said...

प्यार की ऐसी ठंढक हो तो आग भी शीतल लगे ! बहुत खूब !

Urmi said...

बहुत ही सुंदर और सरल रचना है!