Saturday, December 2, 2017

समय उदास होने का एक मौका भर है


समय और कुछ नहीं है
बस उदास होने का मौका है

और ऐसा नहीं है कि
तुम उसे उँगलियों पे गिन के
ख़त्म कर दोगे
वो रहेगा तुम्हारे होने तक
और उसके बाद भी
तुम्हें उदास करने के लिए

वो तुम्हें कभी पीली पत्तियों के मार्फ़त
और कभी टूटते तारों की शक्ल में
किया करेगा उदास
और चाहेगा कि तुम जिरह मत करो
कि तुम उन पत्तियों से अलग हो
जो हर साल पीली होकर
छूट जाती है शाख से

और वो चाहेगा कि तुम इस बात पर गौर करो
कि कल की सुबह जब दुनिया के कुछ लोग सो कर जागेंगे
तो कुछ नहीं भी जागेंगे
और उनकी संख्या हजारों में होगी
और गौर करते हुए उदासियत में रहो

वो चाहता है कि
कोई उसका बेजा इस्तेमाल
अपने मतलब निकालने में ना करे
और बेमतलब दौड़ लगा कर हांफने में
उसे खर्च न किया जाए
बल्कि
फूलती साँसों को ठहर कर देखने और
उसमें इकठ्ठे कार्बन
को घिस-घिस कर
उसके रहते साफ़ कर लिया जाए 

समय और कुछ नहीं है
बस उदास होने का मौका भर है
और वह मौका है बहुत सारे जरूरी
चीजों के बारे में
यह सोंचने का
कि वे दरअसल कितने  जरूरी अथवा गैर-जरूरी हैं

मगर आप चाहें तो
उसे खुश रह कर बर्बाद भी कर सकते हैं!



  

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