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Tuesday, January 19, 2010

सिरहाने में से आधा चाहिए...

सिरहाने में से
आधा चाहिए...

जब आऊं किचेन से काम कर के
और तुम पहले से रजाई में रहो
तब चाहिए
तुम्हारी हथेली और तलवे से आधा ताप

चाहिए अपने कंधे पे तुम्हारा एक हाथ
और कदम सारे साथ-साथ

जहाँ जहां मैं तुम्हारा आधा लेकर
हो सकती हूँ पूरी,
खड़ी हो सकती हूँ तुम्हारे साथ
वहां-वहां चाहिए तुम्हारा आधा

और कई जगह चाहिए पूरा भी...

ऑफिस के लिए घर से निकलते समय
चाहिए एक पूरा आलिंगन
और माथे पे एक पूरा चुम्बन
और चाहिए तुझमें अपनी पूरी सिमटन
शाम ढले जब तुम ऑफिस से लौटो तो

तुम्हारी आँखों के लौ
और होंट के स्वर भी चाहिए
जितना तुम दे सको

और बदले में इसके

मेरी तरफ से
एक पूरा ग्लास समर्पण
जब तुम घर लौट कर सोफे पे बैठो तो

बाकी कभी-कभी तो हम
साथ पान खा हीं सकते है