Sunday, August 2, 2009

तुम्हें तो मालूम था न !!

तुमने तो किया था प्यार

तुम्हें तो मालूम था
क्या होती है
विरह की वेदना

फ़िर कैसे छोड़ दिया
तुमने मुझे
अपने प्यार में अकेले

तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था न !!

29 comments:

संजीव गौतम said...

तुमने तो किया था प्यार

तुम्हें तो मालूम था
सारी खूबसूरती और कथा यहीं छुपी हुई है बढिया.

mehek said...

तुमने तो किया था प्यार

तुम्हें तो मालूम था
waah bas do lin mein kavita ka saara aagaaz bayan kar diya,bahut kashish hai in mein.badhai

पारुल "पुखराज" said...

फ़िर कैसे छोड़ दिया
तुमने मुझे
अपने प्यार में अकेले

तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था न !..mushkil baat badi asaani se kahi gayi..badhiya...

Unknown said...

aapki rachnaa se ek gaana yad aagya...

dono ne kiya tha pyaar magar
mujhe yaad raha tu bhol gayi..................

lekin aapki rachnaa us geet par isliye bhaari hai kyonki ismen jo komalta aur saumyata hai vah badi klarigari kaa kaam hai

_______________badhaai !
bahut bahut badhaai !

हिमांशु कमार पाण्डेय said...

बेहतर अभिव्यक्ति । आभार ।

हेमन्त कुमार said...

kavita sundar hai . man khush ho gaya.

M VERMA said...

सार्थक उलाहना
शायद अभिव्यक्ति के लिये शब्दो की जरूरत ही नही है.
बहुत खूब
अनुपम

समय चक्र said...

सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई

kshama said...

Phir ek baar behtareen rachna..!

vandana gupta said...

thode shabdon mein gahan abhivyakti.........bahut badhiya.

Meenu Khare said...

बहुत अलग किस्म की रचनाधर्मिता है आपकी. शीर्षक भी एकदम अलग से हैँ. विस्तृत टिप्प्णी रचनाओँ पर मनन करने के बाद दूँगी.

शुभकामनाएँ.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बढ़िया पोस्ट लगाई है।

दोस्ती का जज़्बा सलामत रहे।
मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।

अमिताभ मीत said...

क्या बात है. लाजवाब है भाई.

Mithilesh dubey said...

फ़िर कैसे छोड़ दिया
तुमने मुझे
अपने प्यार में अकेले

तुमने तो किया था प्यार।

लाजवाब रचना।

वाणी गीत said...

दो शब्दों में इतनी शिकायत ...!!

Urmi said...

तुमने तो किया था प्यार...वाह एक अलग ही अंदाज़ है और पहली लाइन से ही दिल भर गया! बहुत ही सुंदर रचना!

Sonalika said...

कितनी आसानी से इतनी गहरी बात कह दी आपने, कुछ ही शब्‍दों में समेट दी सागर सी कहानी को, खूबसूरत रचना के लिए बधाई।

सदा said...

तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था न !

बहुत ही सुन्‍दर दिल को छूते भाव बेहतरीन प्रस्‍तुति बधाई ।

डिम्पल मल्होत्रा said...

tumhe to maloom tha vireh ki vedna kya hoti hai....milna bichadna pyar ke hi roop hai.....khuda ki den hai jisko nseeb ho jaye...

दिगम्बर नासवा said...

दोस्त ये उल्हाना है या शिकायत............लाजवाब लिखा है तुमने कैसे छोड़ दिया विरह में...........शायद दर्द से और तप कर निखरने के लिए...............या कुछ और वजह..........

RAJIV MAHESHWARI said...

हार्दिक शुभ कामनाएं !
अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।

Prem Farukhabadi said...

तुमने तो किया था प्यार

तुम्हें तो मालूम था
क्या होती है
विरह की वेदना

bahut hi pyare bhav lage.

राहुल सि‍द्धार्थ said...

सच कहा जो बहुत प्यारा हो अचानक उसका जाना हमेशा के लिए एक खालीपन छोड़ जाता है

निर्मला कपिला said...

मार्मिक रचना चंद शब्दों मे सारी वेदना उडेल दी बहुत खूब शुभकामनायें

somadri said...

जो पहले प्यार कर चुका हो , वो वेदना सहने के बाद किसी को धोखा नहीं दे सकता..

ऐसा भी कहा जा सकता है की वेदना में रहने वाले को प्यार नहीं हो सकता ?
http://som-ras.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut hi achchi........ ehsaason se bhari huyi ek ati utkrisht rachna...........

संध्या आर्य said...

तुम्हें तो मालूम था
क्या होती है
विरह की वेदना

दर्द के मर्म को बेहद शालीनता से व्यान करती पंक्तियाँ........बेहद सम्वेदनशील कविता.

विनोद कुमार पांडेय said...

विरह की वेदना जान कर भी छोड़ देना
कविता मे निहित अद्भुत संवेदना ..

बधाई ओम जी

Chandan Kumar Jha said...

विरह की मौन अभिव्यक्ति....बहुत सुन्दर.