(१)
लम्बी दूरी की
कॉल दरें
घटाई जा रही हैं !
बातें, अब
दूरियां कम करने के लिए
नही की जाती
(२)
एक जगह होती है,
चोट को
अक्सर वहीं लगना होता है
दिल को
बार-बार
उसी जगह से टूटना होता है
(३)
कुछ चोटें
यूँ लग जाती हैं
कि फ़िर ,
नाखून
कभी नही जमते दुबारा
(४)
कुछ दुःख,
लाख छींटें मारो आंखों में
पानी के,
आँख छोड़ कर नहीं जाते
कुछ दुःख, लाख छुपाओ पकड़ लिए जाते हैं
(५)
कुछ उगी हुई फुंसियाँ,
कुछ घाव
फटें होंठ और सुखा मौसम
तुम्हें भूलने में काम आ रहे हैं !
37 comments:
भावनाएँ कितनी प्रबल है
दिल को
बार-बार
उसी जगह से टूटना होता है
नाज़ुक कविताएँ
vah kya bat aap ki kavitao me , sundar kavita
tumhe bhulne ke kaam aa rahe hai....pad ke kuchh yaad ayaa...ye ilam ka sodha,ye kitabe ,ye risale,ek sakhash ki yado ko bulane ke liye hai....kuchh diukh aankho ko chhodh ke nahi jate...ankho me jo bhar loge to kante se chubenge.....boht sunder kavitaye....
क्या बात है ओम भाई...
बहुत सुन्दर लिखा है.
ये शब्द/शैली आपकी पहचान है...
बहुत ही भावुक कविता दिल को छू गई ...
eak jagah hoti hai..choat ko akser wahin lagna hota hai...bahut gehri baat..umda..
Kya Baat hai aapki Om ji Kahan Kahan se itane sundar bhav kheench laate hai..
bahut badhiya..Badhayi..
bahut koobh kafi najuk khyalat vahad khoobsurat tarike se dey hain.
एक जगह होती है,
चोट को
अक्सर वहीं लगना होता है
दिल को
बार-बार
उसी जगह से टूटना होता है
waah gehre bhav ke saath mann ke kone ka dard bhi chalak gaya,sunder rachana.
बहुत सुन्दर लिखा है.
दिल को
बार-बार
उसी जगह से टूटना होता है
वाह!
बहुत खुब आपकी ये रचना सिधे दिल तक उतर गयी।
बहुत बढिया लिखा !!
बेहतरीन बहुत सुन्दर
एक जगह होती है,
चोट को
अक्सर वहीं लगना होता है
दिल को
बार-बार
उसी जगह से टूटना होता है
in lines ne dil ko chhoo liya omji.........
ओमजी,आपकी कविता दिल-ओ-दिमाग़ पर छा जाने वाली है। मेरे ब्ल़ॉग पर आने के लिए शुक्रिया। उम्मीद करता हूँ, आगे भी ऐसी नज़रे-इनायत मिलती रहेगी
behatareen abhivyaktian. bahut khoob, om ji, badhai.
Phir nakhoon nahin ug paate....ati uttam!
neelesh
kuch chotein kisi khas jagah ke liye hi hoti hain aur kuch jagah kisi khas chot ki liye hi hoti hai..........bahut hi sundar bhavmayi abhivyakti .
बहुत ही बेहतरीन तरीके से व्यक्त यह प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी, आभार्
हर क्षणिका अपने में लाजवाब है......
bas ek hi shabd hai mere paas.."VAAH"
OM ji ......... namaskar...........
kya ......... is bhai se naraaz hain kya?
bahut bahut dhanyawaad .......... OM ji..........
aapse ek rishta ban gaya hai........
aap mujhe apna email ID zaroor dijiyega...........
aur ho sake to apna mobile number mujhe email kar dijiyega........
mailtomahfooz@gmail.com
ओम भाई,
जीवनानुभवों को अति लघु पंक्तियों में बहुत खूबसूरती से बंधा है आपने ! मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं! विलम्ब से आया हूँ, यात्राओं में था ! शरबद्ध खग की भाषा है यह, है न ? सप्रीत...
लाजवाब. बहुत ही बढ़िया लिखते हैं आप ओम
जी. आप की सोच और अभिव्यक्ति दोनों ही सबसे
अलग है. मन को छू गए आपकी रचनाओ के
भाव.
इन सुन्दर क्षणिकाओं के लिए बधाई!
bsove ke marmik chitran. sunder.
vaah omji. Aap vaakayi bahut badhiya likhte hain. dil kd dard ko kitne khoobsurti se pesh kiya hai. bahut sundar
इसे जुम्मा-जुम्मा चार दिन ही कहते हैं... और औसतन रोज़ एक कविता आप लिख रहे हैं... कविता का ग्राफ भी या तो समतल है या ऊपर ही उठा है... आप वाकई बहुत अच्छा लिख रहे है... यह कोई जादू नहीं आपकी बेहतर नज़र और सोच है...
bahut he achhi rachna om ji..
चोट और दुःख - क्या खूब ब्यान किया है आपने मौन के खाली घर में.
क्यों आप इतना दर्द लिखते हैं ? एक गहन सन्नाटे में आप को पढ़कर जिंदगी के तमाम दर्द मोल लिए जा सकते हैं .
सोच रहा हूँ इस पोस्ट पर टिप्पणी अब तलक क्यों नहीं हुयी .............नेताओ का हाल बुरा हैं मेरे मुल्क में .........मैं राजीव गाँधी की याद में कसीदे नहीं पढूगा पर स्वर्गीय राजीव गाँधी महान नेता रहे हैं ,हालाँकि मैं नेहरु-गाँधी परिवार की नीतियों से कतई इत्तेफाक नहीं रखता ...........
.......................... ओम जी माफ़ी चाहता हू गलती से उक्त टिप्पणी आपको भेज दी गयी हैं ..........बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आया हू तो सभी को टिप्पणी करने की हड़बड़ी में ..............माफ़ कीजिएगा
'बातें अब दूरियां कम करने के लिए नहीं की जातीं ' वाह ! क्या बात कही है. मजा आ गया
कुछ दुःख,
लाख छींटें मारो आंखों में
पानी के,
आँख छोड़ कर नहीं जाते
SAB KI SAB DIL KE AAR PAAR HO RAHI HAIN ..... BAHOOT HI MAHEEN DHAAGE SE SIYA HAI AAPNE IN SAB CHANIKAAON KO ...LAJAWAAB
jabardast prastuti.....mohak andaj.....congrats bhai...
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