कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
तुमने तो किया था प्यारतुम्हें तो मालूम थासारी खूबसूरती और कथा यहीं छुपी हुई है बढिया.
तुमने तो किया था प्यारतुम्हें तो मालूम थाwaah bas do lin mein kavita ka saara aagaaz bayan kar diya,bahut kashish hai in mein.badhai
फ़िर कैसे छोड़ दियातुमने मुझेअपने प्यार में अकेलेतुमने तो किया था प्यारतुम्हें तो मालूम था न !..mushkil baat badi asaani se kahi gayi..badhiya...
aapki rachnaa se ek gaana yad aagya...dono ne kiya tha pyaar magar mujhe yaad raha tu bhol gayi..................lekin aapki rachnaa us geet par isliye bhaari hai kyonki ismen jo komalta aur saumyata hai vah badi klarigari kaa kaam hai_______________badhaai !bahut bahut badhaai !
बेहतर अभिव्यक्ति । आभार ।
kavita sundar hai . man khush ho gaya.
सार्थक उलाहनाशायद अभिव्यक्ति के लिये शब्दो की जरूरत ही नही है.बहुत खूबअनुपम
सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई
Phir ek baar behtareen rachna..!
thode shabdon mein gahan abhivyakti.........bahut badhiya.
बहुत अलग किस्म की रचनाधर्मिता है आपकी. शीर्षक भी एकदम अलग से हैँ. विस्तृत टिप्प्णी रचनाओँ पर मनन करने के बाद दूँगी.शुभकामनाएँ.
बढ़िया पोस्ट लगाई है।दोस्ती का जज़्बा सलामत रहे। मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।
क्या बात है. लाजवाब है भाई.
फ़िर कैसे छोड़ दियातुमने मुझेअपने प्यार में अकेलेतुमने तो किया था प्यार।लाजवाब रचना।
दो शब्दों में इतनी शिकायत ...!!
तुमने तो किया था प्यार...वाह एक अलग ही अंदाज़ है और पहली लाइन से ही दिल भर गया! बहुत ही सुंदर रचना!
कितनी आसानी से इतनी गहरी बात कह दी आपने, कुछ ही शब्दों में समेट दी सागर सी कहानी को, खूबसूरत रचना के लिए बधाई।
तुमने तो किया था प्यारतुम्हें तो मालूम था न !बहुत ही सुन्दर दिल को छूते भाव बेहतरीन प्रस्तुति बधाई ।
tumhe to maloom tha vireh ki vedna kya hoti hai....milna bichadna pyar ke hi roop hai.....khuda ki den hai jisko nseeb ho jaye...
दोस्त ये उल्हाना है या शिकायत............लाजवाब लिखा है तुमने कैसे छोड़ दिया विरह में...........शायद दर्द से और तप कर निखरने के लिए...............या कुछ और वजह..........
हार्दिक शुभ कामनाएं !अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
तुमने तो किया था प्यारतुम्हें तो मालूम थाक्या होती हैविरह की वेदनाbahut hi pyare bhav lage.
सच कहा जो बहुत प्यारा हो अचानक उसका जाना हमेशा के लिए एक खालीपन छोड़ जाता है
मार्मिक रचना चंद शब्दों मे सारी वेदना उडेल दी बहुत खूब शुभकामनायें
जो पहले प्यार कर चुका हो , वो वेदना सहने के बाद किसी को धोखा नहीं दे सकता..ऐसा भी कहा जा सकता है की वेदना में रहने वाले को प्यार नहीं हो सकता ?http://som-ras.blogspot.com
bahut hi achchi........ ehsaason se bhari huyi ek ati utkrisht rachna...........
तुम्हें तो मालूम थाक्या होती हैविरह की वेदनादर्द के मर्म को बेहद शालीनता से व्यान करती पंक्तियाँ........बेहद सम्वेदनशील कविता.
विरह की वेदना जान कर भी छोड़ देनाकविता मे निहित अद्भुत संवेदना ..बधाई ओम जी
विरह की मौन अभिव्यक्ति....बहुत सुन्दर.
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29 comments:
तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था
सारी खूबसूरती और कथा यहीं छुपी हुई है बढिया.
तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था
waah bas do lin mein kavita ka saara aagaaz bayan kar diya,bahut kashish hai in mein.badhai
फ़िर कैसे छोड़ दिया
तुमने मुझे
अपने प्यार में अकेले
तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था न !..mushkil baat badi asaani se kahi gayi..badhiya...
aapki rachnaa se ek gaana yad aagya...
dono ne kiya tha pyaar magar
mujhe yaad raha tu bhol gayi..................
lekin aapki rachnaa us geet par isliye bhaari hai kyonki ismen jo komalta aur saumyata hai vah badi klarigari kaa kaam hai
_______________badhaai !
bahut bahut badhaai !
बेहतर अभिव्यक्ति । आभार ।
kavita sundar hai . man khush ho gaya.
सार्थक उलाहना
शायद अभिव्यक्ति के लिये शब्दो की जरूरत ही नही है.
बहुत खूब
अनुपम
सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई
Phir ek baar behtareen rachna..!
thode shabdon mein gahan abhivyakti.........bahut badhiya.
बहुत अलग किस्म की रचनाधर्मिता है आपकी. शीर्षक भी एकदम अलग से हैँ. विस्तृत टिप्प्णी रचनाओँ पर मनन करने के बाद दूँगी.
शुभकामनाएँ.
बढ़िया पोस्ट लगाई है।
दोस्ती का जज़्बा सलामत रहे।
मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।
क्या बात है. लाजवाब है भाई.
फ़िर कैसे छोड़ दिया
तुमने मुझे
अपने प्यार में अकेले
तुमने तो किया था प्यार।
लाजवाब रचना।
दो शब्दों में इतनी शिकायत ...!!
तुमने तो किया था प्यार...वाह एक अलग ही अंदाज़ है और पहली लाइन से ही दिल भर गया! बहुत ही सुंदर रचना!
कितनी आसानी से इतनी गहरी बात कह दी आपने, कुछ ही शब्दों में समेट दी सागर सी कहानी को, खूबसूरत रचना के लिए बधाई।
तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था न !
बहुत ही सुन्दर दिल को छूते भाव बेहतरीन प्रस्तुति बधाई ।
tumhe to maloom tha vireh ki vedna kya hoti hai....milna bichadna pyar ke hi roop hai.....khuda ki den hai jisko nseeb ho jaye...
दोस्त ये उल्हाना है या शिकायत............लाजवाब लिखा है तुमने कैसे छोड़ दिया विरह में...........शायद दर्द से और तप कर निखरने के लिए...............या कुछ और वजह..........
हार्दिक शुभ कामनाएं !
अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
तुमने तो किया था प्यार
तुम्हें तो मालूम था
क्या होती है
विरह की वेदना
bahut hi pyare bhav lage.
सच कहा जो बहुत प्यारा हो अचानक उसका जाना हमेशा के लिए एक खालीपन छोड़ जाता है
मार्मिक रचना चंद शब्दों मे सारी वेदना उडेल दी बहुत खूब शुभकामनायें
जो पहले प्यार कर चुका हो , वो वेदना सहने के बाद किसी को धोखा नहीं दे सकता..
ऐसा भी कहा जा सकता है की वेदना में रहने वाले को प्यार नहीं हो सकता ?
http://som-ras.blogspot.com
bahut hi achchi........ ehsaason se bhari huyi ek ati utkrisht rachna...........
तुम्हें तो मालूम था
क्या होती है
विरह की वेदना
दर्द के मर्म को बेहद शालीनता से व्यान करती पंक्तियाँ........बेहद सम्वेदनशील कविता.
विरह की वेदना जान कर भी छोड़ देना
कविता मे निहित अद्भुत संवेदना ..
बधाई ओम जी
विरह की मौन अभिव्यक्ति....बहुत सुन्दर.
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