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Saturday, August 14, 2010

कवितायेँ बचाती है हरीतिमा

हर नयी कविता
जगह बनाती है
दूसरी नयी कविता के लिए

प्रकृति के हर जीव की तरह
कवितायेँ भी रखती हैं अपना बीज
स्वयं में हीं
और लगातार बचाती हैं हरीतिमा

***


जरूरी होती हैं कवितायेँ

कवितायेँ न हो
तो हो सकता है मैं भी
किसी कटघरे में होऊं
और मुझ पर कोई मुकदमा हो

जब तक कवितायें हैं
तब तक मुझे आस है
कि कुछ और लोग भी बचते रहेंगे
कटघरे में होने से

***