हर नयी कविता
जगह बनाती है
दूसरी नयी कविता के लिए
प्रकृति के हर जीव की तरह
कवितायेँ भी रखती हैं अपना बीज
स्वयं में हीं
और लगातार बचाती हैं हरीतिमा
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जरूरी होती हैं कवितायेँ
कवितायेँ न हो
तो हो सकता है मैं भी
किसी कटघरे में होऊं
और मुझ पर कोई मुकदमा हो
जब तक कवितायें हैं
तब तक मुझे आस है
कि कुछ और लोग भी बचते रहेंगे
कटघरे में होने से
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