कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
समझ मे नही आयी पर कमाल की अभिव्यक्ति है ..........नाजुक कविता अपने भाव और बुनावट से अतिसुन्दर ........क्या कहू....धन्यावाद
जाओ जाकर गले लगा लो उसको...kya kahun?kahne ko kuchh raha nahi....kmaal likha
ओम जी,कविता में अभिव्यक्ती की नवीनता और प्रतीकों के लिये प्रयोगधर्मिता का बहुत ही अच्छा प्रयोग किया है।सुन्दर अभिव्यक्ती, अद्भुत कल्पना।सादर,मुकेश कुमार तिवारी
कुछ बहुत गहरी बात होगी..फिर फिर पढ़ूँगा.
जाओ जाकर गले लगा लो उसकोउसकी शाख पे तूफ़ान आया हुआ हैbahut khoob...!
asha karte hain wo gale lagane aane hi wale honge.
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7 comments:
समझ मे नही आयी पर कमाल की अभिव्यक्ति है ..........नाजुक कविता अपने भाव और बुनावट से अतिसुन्दर ........क्या कहू....धन्यावाद
जाओ जाकर गले लगा लो उसको
...kya kahun?kahne ko kuchh raha nahi....kmaal likha
ओम जी,
कविता में अभिव्यक्ती की नवीनता और प्रतीकों के लिये प्रयोगधर्मिता का बहुत ही अच्छा प्रयोग किया है।
सुन्दर अभिव्यक्ती, अद्भुत कल्पना।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
कुछ बहुत गहरी बात होगी..फिर फिर पढ़ूँगा.
जाओ जाकर गले लगा लो उसको
उसकी शाख पे तूफ़ान आया हुआ है
bahut khoob...!
asha karte hain wo gale lagane aane hi wale honge.
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