एक नींद से बिछड़ा हूँ मै
एक ख्वाब का टुकड़ा हूँ मैं
चील सी उड़ती हवाएं
धूप जैसे चोट खाए
कुछ संग थे जो अरमान वो अरमान बिखरते गए
साथ में बिखरा हूँ मैं
एक नींद से बिछड़ा हूँ
मै एक ख्वाब का टुकड़ा हूँ मैं
हालात गिरते गये
रंगरेज उजड़ते गये
धूप में धुंधले हुए सब श्याम पे ठहरा हूँ मैं ,
रंग का उतरा हूँ मैं
एक नींद से बिछड़ा हूँ मैं
एक ख्वाब का टुकड़ा हूँ मैं
7 comments:
Bahoot khoob..
बहुत बढिया ..
चील सी उड़ती हवाएं
धूप जैसे चोट खाए
कुछ संग थे जो अरमान वो अरमान बिखरते गए
साथ में बिखरा हूँ मैं
aisee hi hoti jindagi shaayad
khubasurat nazm
एक नींद से बिछड़ा हूँ\
मै एक ख्वाब का टुकड़ा हूँ मैं
--बहुत उम्दा..बेहतरीन!!
एक नींद से बिछड़ा हूँ मै
एक ख्वाब का टुकड़ा हूँ मैं
its realy so nice....ek khab ka tukda hun main....very b ful...
चील सी उड़ती हवाएं
धूप जैसे चोट खाए
कमाल की सोच से जन्मी लाइनें
बहुत खूब लिखा है आपने ।
जो लिखा है दिल तक असर कर रहा है शुक्रिया
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