कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
अभी इक ऊँची पहाड़ी पे हूँ
यहां दिखा है एक फूल ....बहुत ही सुन्दर ।
मगर अब तो कागज के फूलों से काम चलाना पड़ेगा।बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
adbhut rachna hai om ji...badhayi....
प्रेम की गहरी अभिव्यक्ति...
जहां भी उनका रंग होगा........... पूरा समा महका हुवा होगा........... ओम जी ......... कुछ ही लाइनों में प्यार की गहरी अनुभूति उतार दी है आपने........... लाजवाब , मनमोहक
हम हमारे अपनों का अक्स कहाँ ,कहाँ नही खोजते ...
प्यारी रचना है. बधाई.
waah.....prem ka ek rang ye bhi hai......badhayi
kavita ki choti behan kaviti (kshanika) bahut achi ban padi hai...//.........एक फूल झुक कर देख रहा हूँ उसमें तुम्हारा रंग और .........behetrein
वाह क्या बात है छोटी सी लाईन मे प्यार ही प्यार। बेहतरिन रचना भाई।
pyar ki abhivyakti to koi aap se sikhe..gagar me sagar..kahe to satik fit hota hai..gahara bhav..badhayi..om ji
सुन्दर अभिव्यक्ति
mahak yahaan tak aa gayi hai ye kavita hamen bha gayi haiyon hi sugandh lutate raho.......kavita nayi nitya laate raho .....__________badhaai !
अति सुन्दर रचना ,शुभकानायें
ek pyara ehsaas,bahut sunder
लाजवाब..बहुत सुन्दर..
अह्हा!! बहुत गहरे!! वाह!!
जिसे देखने की चाह हो वो हर जगह दिख ही जाता है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
tumhe dekhe tumhe chahe tumhe puje.....yahi pyar hai..khoobsurat ahsaas hai apke....
छोटी-सी किंतु अनूठी प्रेम-कविता...
आपकी अभिव्यक्ति को मेरा प्रणाम !
अच्छा लगा
jhuk kar dekh raha hoon tumhara rang ......... tumhari khushbu........waaqai mein jinhe hum chahte hain........ unke rang hamein har taraf nazar aate hain........khushbu bas jaati hai........prem ki bahut khoobsoorat kavita....... deep emotions poured........ n devoured....A+++++++++++++
ओम जी,कभी कभी शब्द अहसासों में बदल जाते हैं और यह अवस्था किसी भी रचनाकार के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना होती है।यहाँ फूल को देखने बाद का सारा ब्यौरा शब्दों को कोमल/मखमली अहसासों में बदल रहा है कविता नही रची जा रही है।सुन्दर रचना, कम शब्दों में पूर्ण भावाभिव्यक्ती।सादर,मुकेश कुमार तिवारी
Aapkaa jawaab naheen.{ Treasurer-T & S }
मौनव्रत हूँ ,पर हो रहा है अहसास तुमारे सामीप्य का सादर प्रवीण पथिक 9971969084
आज की दुनिया में भी ऐसे प्यार का अस्तित्व!!!सम्वेदनाओं का स्पन्दन इसी से तो है...
रस के इस सागर और अभिव्यक्ति को क्या शब्द दूँ.
speech less , gagar men sagar ke saath manhar abhivyakti. badhaai.
शब्द नहीं है मेरे पास.अद्भुत. आभार.
ब्लॉग आर्काइव लगा ले तो पुरानी रचनायें पढने मे सुविधा होगी. आभार.
Chandan Ji, Blog Archive laga hua tha, par thoda neeche tha, maine upar set kar diya hai. thanks for suggestion.Om.
bahut saral sundar bhav.badhai!
बहुत सुंदर! अद्भुत रचना! बहुत अच्छा लगा!
bandhu khoobsurat ehsas hain...prem kee prakaastha hai ye..wah
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35 comments:
यहां दिखा है एक फूल ....बहुत ही सुन्दर ।
मगर अब तो कागज के फूलों से
काम चलाना पड़ेगा।
बहुत सुन्दर रचना है।
बधाई।
adbhut rachna hai om ji...
badhayi....
प्रेम की गहरी अभिव्यक्ति...
जहां भी उनका रंग होगा........... पूरा समा महका हुवा होगा........... ओम जी ......... कुछ ही लाइनों में प्यार की गहरी अनुभूति उतार दी है आपने........... लाजवाब , मनमोहक
हम हमारे अपनों का अक्स कहाँ ,कहाँ नही खोजते ...
प्यारी रचना है. बधाई.
waah.....prem ka ek rang ye bhi hai......badhayi
kavita ki choti behan kaviti (kshanika) bahut achi ban padi hai...//
.........एक फूल झुक कर देख रहा हूँ उसमें तुम्हारा रंग और .........
behetrein
वाह क्या बात है छोटी सी लाईन मे प्यार ही प्यार। बेहतरिन रचना भाई।
pyar ki abhivyakti to koi aap se sikhe..
gagar me sagar..kahe to satik fit hota hai..
gahara bhav..badhayi..om ji
सुन्दर अभिव्यक्ति
mahak yahaan tak aa gayi hai
ye kavita hamen bha gayi hai
yon hi sugandh lutate raho.......
kavita nayi nitya laate raho .....
__________badhaai !
अति सुन्दर रचना ,शुभकानायें
ek pyara ehsaas,bahut sunder
लाजवाब..बहुत सुन्दर..
अह्हा!! बहुत गहरे!! वाह!!
जिसे देखने की चाह हो वो हर जगह दिख ही जाता है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
tumhe dekhe tumhe chahe tumhe puje.....yahi pyar hai..khoobsurat ahsaas hai apke....
छोटी-सी किंतु अनूठी प्रेम-कविता...
आपकी अभिव्यक्ति को मेरा प्रणाम !
अच्छा लगा
jhuk kar dekh raha hoon tumhara rang ......... tumhari khushbu........
waaqai mein jinhe hum chahte hain........ unke rang hamein har taraf nazar aate hain........
khushbu bas jaati hai........
prem ki bahut khoobsoorat kavita....... deep emotions poured........ n devoured....
A+++++++++++++
ओम जी,
कभी कभी शब्द अहसासों में बदल जाते हैं और यह अवस्था किसी भी रचनाकार के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना होती है।
यहाँ फूल को देखने बाद का सारा ब्यौरा शब्दों को कोमल/मखमली अहसासों में बदल रहा है कविता नही रची जा रही है।
सुन्दर रचना, कम शब्दों में पूर्ण भावाभिव्यक्ती।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
Aapkaa jawaab naheen.
{ Treasurer-T & S }
मौनव्रत हूँ ,
पर हो रहा है अहसास
तुमारे सामीप्य का
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
आज की दुनिया में भी ऐसे प्यार का अस्तित्व!!!सम्वेदनाओं का स्पन्दन इसी से तो है...
रस के इस सागर और अभिव्यक्ति को क्या शब्द दूँ.
speech less , gagar men sagar ke saath manhar abhivyakti. badhaai.
शब्द नहीं है मेरे पास.अद्भुत. आभार.
ब्लॉग आर्काइव लगा ले तो पुरानी रचनायें पढने मे सुविधा होगी. आभार.
Chandan Ji, Blog Archive laga hua tha, par thoda neeche tha, maine upar set kar diya hai. thanks for suggestion.
Om.
bahut saral sundar bhav.badhai!
बहुत सुंदर! अद्भुत रचना! बहुत अच्छा लगा!
bandhu khoobsurat ehsas hain...
prem kee prakaastha hai ye..wah
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