वक़्त मोड़ देता है
कभी कान उमेठकर हौले से
कभी बाहें मदोड़ कर झटके से
और कभी इस तरह कि
बस चौंकने भर का मौका होता है
वो मोड़ता है तो
मुड़े बिना मैं नहीं और वो भी नहीं
कोई और हो तो हो
इसका पता नहीं
जब आग लगी थी
और जब जलने का मजा था
हमारा मोम पिघल कर मिलने लगा था
वक़्त ने हमें नाक से पकड़ा
और मोड़ कर हमारी पीठ एक दूसरे की तरफ कर दी
हम किधर गए
कौन से पार किये रास्ते
वो सिर्फ वक्त को मालूम होगा
मुझे बस ये मालूम है कि
वो पिघला मोम जमा नहीं
आँखों के पानी में सब धुंधले हुए
और यूँ लगता है कि
सब न जाने कितने कोस दूर है अब
पर ऐसा सिर्फ लगता है
वास्तव में है नहीं
दरअसल वक़्त रिअर ग्लास की तरह है
चीजें ज्यादा दूर दिखाई पड़ती हैं
कभी कान उमेठकर हौले से
कभी बाहें मदोड़ कर झटके से
और कभी इस तरह कि
बस चौंकने भर का मौका होता है
वो मोड़ता है तो
मुड़े बिना मैं नहीं और वो भी नहीं
कोई और हो तो हो
इसका पता नहीं
जब आग लगी थी
और जब जलने का मजा था
हमारा मोम पिघल कर मिलने लगा था
वक़्त ने हमें नाक से पकड़ा
और मोड़ कर हमारी पीठ एक दूसरे की तरफ कर दी
हम किधर गए
कौन से पार किये रास्ते
वो सिर्फ वक्त को मालूम होगा
मुझे बस ये मालूम है कि
वो पिघला मोम जमा नहीं
आँखों के पानी में सब धुंधले हुए
और यूँ लगता है कि
सब न जाने कितने कोस दूर है अब
पर ऐसा सिर्फ लगता है
वास्तव में है नहीं
दरअसल वक़्त रिअर ग्लास की तरह है
चीजें ज्यादा दूर दिखाई पड़ती हैं