बारिश होती है
तेरी हंसी से होती है
तर-बतर धरती
पार्क में,
जहाँ जमा हो गया है पानी,
उड़ाते हैं बच्चे
तेरी हंसी के छींटे
एक-दूसरे पर
बच्चे हंसी से नहाते हैं
खिलखिलाते हैं
भाग-दौड़ करते हुए
गिरते हैं वे इधर-उधर
तो बजती है
तेरी हंसी छपाक से
और किनारे पे लगे पेंड़ों के पत्तों से गिर कर
मिल जाती हैं बूंदे हंसी में
तुम हंसती हो
तो उगने और पकने के लिए
जीती रहती है धरती
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तेरी हंसी से होती है
तर-बतर धरती
पार्क में,
जहाँ जमा हो गया है पानी,
उड़ाते हैं बच्चे
तेरी हंसी के छींटे
एक-दूसरे पर
बच्चे हंसी से नहाते हैं
खिलखिलाते हैं
भाग-दौड़ करते हुए
गिरते हैं वे इधर-उधर
तो बजती है
तेरी हंसी छपाक से
और किनारे पे लगे पेंड़ों के पत्तों से गिर कर
मिल जाती हैं बूंदे हंसी में
तुम हंसती हो
तो उगने और पकने के लिए
जीती रहती है धरती
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