वो लौट आया है!
वो लौट आया है
वे दिन, लौट आये हैं उसके साथ
मगर, ये लगभग तय सा है कि
वे दिन जो लौट आए हैं उसके साथ,
फिर लौट जाऐंगे उसके साथ हीं
सांसें कितनी उठ रही हैं उंची
ख्यालों में, तमाम तरह के जुर्म हो रहे हैं इकठ्ठा
रातों के होने के ढंग में भी सपनों से खलल है
और मेरी बाहें फैली हुईं हैं
उन थोड़े से उन दिनों को बांधने के लिए
जो मुठ्ठी भर हैं
वो जो रोकता है और वो जो खोलता है
उसके दरम्यान उठती
आंधियों को रोकते-रोकते बारिश को आंखों तक आते अभी-अभी देखा मैंने
ये जानने के बावजूद कि
वे दिन जो लौट आये हैं उसके साथ
वे दिन फिर लौट जाऐंगे उसके साथ हीं
हम कुछ अफसोस फिर से रख लेंगे संजो कर
अगली बार की वसंत के लिए!!
वो लौट आया है
वे दिन, लौट आये हैं उसके साथ
मगर, ये लगभग तय सा है कि
वे दिन जो लौट आए हैं उसके साथ,
फिर लौट जाऐंगे उसके साथ हीं
सांसें कितनी उठ रही हैं उंची
ख्यालों में, तमाम तरह के जुर्म हो रहे हैं इकठ्ठा
रातों के होने के ढंग में भी सपनों से खलल है
और मेरी बाहें फैली हुईं हैं
उन थोड़े से उन दिनों को बांधने के लिए
जो मुठ्ठी भर हैं
वो जो रोकता है और वो जो खोलता है
उसके दरम्यान उठती
आंधियों को रोकते-रोकते बारिश को आंखों तक आते अभी-अभी देखा मैंने
ये जानने के बावजूद कि
वे दिन जो लौट आये हैं उसके साथ
वे दिन फिर लौट जाऐंगे उसके साथ हीं
हम कुछ अफसोस फिर से रख लेंगे संजो कर
अगली बार की वसंत के लिए!!