कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
सारे ख्वाब तभी तक संच लगते हैं जब तक कि नींद नही टूटती. Waah...Waah...! her roz ek kavita...?bhot khoob....!
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सारे ख्वाब तभी तक संच लगते हैं
जब तक कि नींद नही टूटती.
Waah...Waah...! her roz ek kavita...?
bhot khoob....!
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