कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
उन्ही जरूरतों नेकर दिया था उसका खून पानीया शायद उन्हीं जरूरतों ने बहुतों को बेपानी कर दिया है.बहुत सुन्दर रचनाएँ
बहुत गहरी बात कह दी ओम भाई...वाह!
क्षणिकाओं में बहुत गहरी बात कह दी है...बहुत अच्छी लगीं ये क्षणिकाएं ...बधाई
उफ़!बहुत कुछ छूट गया....अब सब इत्मीनान से पढ़ता हूँ....
चारों क्षणिकाएं अच्छी लगी ! एक बात तो सच है की सबसे ज्यादा अगर कुछ खो जाता है तो वो है विश्वास !
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5 comments:
उन्ही जरूरतों ने
कर दिया था उसका खून पानी
या शायद उन्हीं जरूरतों ने बहुतों को बेपानी कर दिया है.
बहुत सुन्दर रचनाएँ
बहुत गहरी बात कह दी ओम भाई...वाह!
क्षणिकाओं में बहुत गहरी बात कह दी है...बहुत अच्छी लगीं ये क्षणिकाएं ...बधाई
उफ़!बहुत कुछ छूट गया....अब सब इत्मीनान से पढ़ता हूँ....
चारों क्षणिकाएं अच्छी लगी ! एक बात तो सच है की सबसे ज्यादा अगर कुछ खो जाता है तो वो है विश्वास !
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