Thursday, April 8, 2010

जरूरतें, विश्वास और सपना पर कुछ और प्रतिक्रियाएं


ये कुछ और प्रतिक्रियाएं हैं इस रचना पे, जिन्हें मैं खोना नहीं चाहता था..

5 comments:

M VERMA said...

उन्ही जरूरतों ने
कर दिया था उसका खून पानी

या शायद उन्हीं जरूरतों ने बहुतों को बेपानी कर दिया है.
बहुत सुन्दर रचनाएँ

Udan Tashtari said...

बहुत गहरी बात कह दी ओम भाई...वाह!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

क्षणिकाओं में बहुत गहरी बात कह दी है...बहुत अच्छी लगीं ये क्षणिकाएं ...बधाई

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

उफ़!बहुत कुछ छूट गया....अब सब इत्मीनान से पढ़ता हूँ....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

चारों क्षणिकाएं अच्छी लगी ! एक बात तो सच है की सबसे ज्यादा अगर कुछ खो जाता है तो वो है विश्वास !