आवाज अगर कहीं है
तो वह निकल आएगी
कहीं से भी, कभी ना कभी
और किसी न किसी को जरूर सुनाई दे जाएगी
सुनाई दिए जाने तक
ठहर कर इंतजार करती है वह
अनसुना करो तो तेज होने लग जाती है
या फिर कोई और कान तलाशने निकल जाती है
अपने होने और निकलने की जगह बदल सकती है आवाज
वह दबकर ज्यादा देर नहीं रहती
बहुत समय से दबाई गई आवाज का भी
समय के किसी न किसी बिंदु पर निकल जाना तय है
हां पर निकलने का रास्ता और तरीका वो खुद तय करेगी
कभी इस तरह निकलती है वह
कि लगता है निकलने की ही आवाज है
और कभी इस तरह कि निकलने का पता ही नहीं चलता
हर तरफ सिर्फ आवाज ही आवाज
आवाज को साथ बैठने के लिए
कोई दूसरी आवाज जरूर चाहिए होती होगी
पर क्या शोर वाली जगहों पर कई आवाजें एक साथ बैठी होती है और कर रही होती है बतकही
या फिर क्या रो रही होती हैं एक साथ बैठकर कई आवाजें
या फिर यूं भी कि तोड़े जाने के खिलाफ वह हो रही होती हो लामबंद
नहीं मालूम कि
आवाज को तोड़ते जाने से आखिर में क्या मिलेगा
और जो मिलेगा उस आवाज के कण को क्या कहेंगे
क्या वह एटम जैसी कोई चीज होगी
जिससे कोई आणविक विस्फोट भी हो सकता है
तो फिर क्या कोई विस्फोट होने वाला है
क्योंकि आवाज को तोड़े जाने का सिलसिला जारी है
क्या तुम सुन पा रहे हो
तुम्हारी आवाज को कोई आवाज दे रहा है