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Thursday, July 23, 2009

चिमटे से बस इतना हीं पकड़ा गया...

(1)

पहले

तो तुमने छेड़ दी तार

और अब

जब संगीत बजने लगा है तो

कान बंद कर लिए तुमने !

(2)
जो हाथ

कभी दूर से हींबुलाने लग जाते थे,

पास आकर

कंधे पे आ जाते थे

वे अब यूँ हीं जेब में पड़े रहते हैं.

(३)

शामें

अब कुछ यूँ गुजर जाती है

कि बैठना नही हो पाता
अपने
पास

ख़ुद को महसूसते हुए

(५)

दुःख भी दो तरह के होते हैं
एक तो होता है
और दूसरा, कोई देता है