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Thursday, December 31, 2009

बस थोड़ी देर और...

हालाँकि रात के तलवों में
चुभा पाला अभी नुकीला है,

और सुबह जब भी मुंह खोलती है
धुंध उगलती है

वक्त के माथे पर ठंड का एक बड़ा सा गूमड़ है
और पीठ पर कोहरे का भारी बोझ ,

पर फिर भी
वक्त अभी डटा हुआ है
और कहता है सूरज लेकर ही आयेगा ......
नयी ऊर्जा का ,
नये रंग का ,
नये साल का .......

वक्त की इस कोशिश में
मै साथ हूं उसके,
और मै जानता हूँ आप सब भी जरूर होंगे


मुझे, आप सबकों और वक्त कों
इस कोशिश के लिए
शुभकामनाएं ....................