मैं इतना विशाल तो नही कि पृथ्वी का एक अंश भी आच्छादित कर सकूं, पर मुझे इस रूप में खोजने का श्रेय मेरेबड़े भाई, जो ख़ुद कविता की दुनिया से गहरा ताल्लुक रखते हैं - सिर्फ़ उनका रस अलग है, को जाता है। उनकानाम बसंत आर्य है और वे
ठहाका
पे पढ़े जा सकते हैं. ये ब्लॉग उन्ही का बनाया हुआ है, उन्ही ने आप तक मुझे पहुँचाया है और मुझे भी आप तकपहुँचने का रास्ता बताया है।
इन सबके पहले मुझे ये बता देना जरूरी लगता है कि मेरे पिताजी भी लिखते थे (अब नही लिखते), निश्चय ही इस बीज की सम्भावना वहीँ से आई है।
मैं यह भूमिका इसलिए पेश कर रहा हूँ क्यों कि मुझे आप सबसे लगातार मिलते रहने वाले हौसले के लिए और आप सबकी रचनाओं के लिए-जो मेरे पौध के लिए खाद का काम करती हैं-आप सब का शुक्रिया अदा करना है। मगर आप ये मत मान लेना कि ये किसी तरह कि कर्ज अदायगी है। कर्ज तो रहेगा हीं आपका।
आभार !
आप सबका
सैयद, वंदना समीर सृज़न डॉ अनुराग रंजना MUFLIS महावीर रंजना [रंजू भाटिया] विवेक विनय Harkirat Haqeer Parul
MANVINDER भिम्बर मीत परमजीत बाली हिमांशु अनिल कान्त Udan Tashtari इष्ट देव सांकृत्यायन संगीता पुरी कंचन सिंह चौहान महाशक्ति नीरज गोस्वामी pallavi trivedi
और भी कुछ लोग हैं जिनका जिक्र यहाँ नही हो पाया है पर वो हैं और रहेंगे मेरे हौसले का हिस्सा बनकर.
पे पढ़े जा सकते हैं. ये ब्लॉग उन्ही का बनाया हुआ है, उन्ही ने आप तक मुझे पहुँचाया है और मुझे भी आप तकपहुँचने का रास्ता बताया है।
इन सबके पहले मुझे ये बता देना जरूरी लगता है कि मेरे पिताजी भी लिखते थे (अब नही लिखते), निश्चय ही इस बीज की सम्भावना वहीँ से आई है।
मैं यह भूमिका इसलिए पेश कर रहा हूँ क्यों कि मुझे आप सबसे लगातार मिलते रहने वाले हौसले के लिए और आप सबकी रचनाओं के लिए-जो मेरे पौध के लिए खाद का काम करती हैं-आप सब का शुक्रिया अदा करना है। मगर आप ये मत मान लेना कि ये किसी तरह कि कर्ज अदायगी है। कर्ज तो रहेगा हीं आपका।
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सैयद, वंदना समीर सृज़न डॉ अनुराग रंजना MUFLIS महावीर रंजना [रंजू भाटिया] विवेक विनय Harkirat Haqeer Parul
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और भी कुछ लोग हैं जिनका जिक्र यहाँ नही हो पाया है पर वो हैं और रहेंगे मेरे हौसले का हिस्सा बनकर.
3 comments:
आप लिखते रहें.....पुन: शुभकामनाएं।
om ji ,
aapke bhav bahut gahre hain.hamein aapke bhav padhne se aatmik shanti milti hai.aap isi prakar likhte rahein aur hamein anugrahit karte rahein.
आपके ब्लॉग की अपडेट मिलती रहे इस लिये आपकी फॉलोवर बनने आई थी....आप जैसे सच्चे संवेदनशीलों द्वारा अपना नाम लिया जाना, वाक़ई अच्छा लगता है....!
हाँ एक और बात...आपकी कविताओं पर वाह, बहुत खूब जैसे स्तब्ध शब्दों के बीच कभी बता नही पाई कि आप हमेशा ही बहुत अच्छा लिखते हैं.....! बहुत संवेदनशील...!
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