बहुत से लोग
जो प्यार में कभी मर गए थे
और अब प्यार में जीने के लिए फिर पैदा हुए थे
उनकी मुश्किल थी कि
उन्हें लोग नहीं मिलते थे
जिन पे प्यार में वे दुबारा मर सकें
और सुकून हो
अकूत प्रेम अब कहीं नहीं दीखता था
फिल्मों में भी नहीं
जहाँ सिर्फ अभिनय से भी काम चलाया जा सकता है
कविता काफी देर तक
माथे पे हाथ रखे सोंचती थी
कि कुछ लिखे
कि वे सब लोग प्रेम पढ़ कर सुकून से मर सकें
जो मर के मरना चाहते थे
पर शब्दों का कहना था
कि वे अब उस तरह नहीं लिखे जा सकेंगे
जिस तरह पढ़े जाने की जरूरत है
इसलिए शायद
वे सब लोग अब मर नहीं पाएंगे
______________
9 comments:
खालिस तुम्हारे अंदाज़ की कविता है...उम्दा.
कविता काफी देर तक
माथे पे हाथ रखे सोंचती थी
कि कुछ लिखे
कि वे सब लोग प्रेम पढ़ कर सुकून से मर सकें
जो मर के मरना चाहते थे
बहुत गहन भाव ....
आपसे मिलाना सुखकर था ..आभार मिलने का ..
जो प्यार पाने के लिये पुनः पैदा हुये, वे अब मर नहीं पायेंगे जब तक उन्हे प्यार नहीं मिल जायेगा।
प्रेम आसानी से मिटाया जा सकता है, ढाई अक्षर होते ही कितने हैं?
"aapke sundar bhaavon ko samarpit panktiyaan -binaa ehsaas ke zindaa hoon ,isliyen ki ,jab kabhi ehsaas laute ,khairmakdam kar sakoon ."
sundar bhaav poorn kriti ke liye badhaai .
veerubhai .
प्रेम मकड़जाल है...
पर शब्दों का कहना था
कि वे अब उस तरह नहीं लिखे जा सकेंगे
जिस तरह पढ़े जाने की जरूरत है
इसलिए शायद
वे सब लोग अब मर नहीं पाएंगे
आह! हमेशा की तरह एक बार फिर नायाब रचना…………सोच की आखिरी सीढी पर जाकर कविता फिर मुडती है…………गज़ब्।
बस एक अफ़सोस रहा उस दिन 30 अप्रैल को आप आये और मिले नही दूर से ही निकल गये।
ओम जी
यह कविता भी पाठक से सीधा संपर्क स्थापित कर लेती है..बिना किसी भूमिका के पाता पढता जाता है उअर कविता में डूबता जाता है....
शायद यही इस कविता की सफलता का प्रतीक है.
कविता काफी देर तक
माथे पे हाथ रखे सोंचती थी
कि कुछ लिखे
कि वे सब लोग प्रेम पढ़ कर सुकून से मर सकें
जो मर के मरना चाहते थे......
Excellent
"कविता काफी देर तक
माथे पे हाथ रख कर सोचती थी
कि कुछ लिखे
कि वे सब लोग प्रेम पढ़ कर सुकून से मर सकें
जो मर के मरना चाहते थे
पर शब्दों का कहना था
कि वे अब उस तरह नहीं लिखे जा सकेंगे
जिस तरह पढ़े जाने की ज़रुरत है
इसलिए शायद
वे सब लोग अब मर नहीं पायेंगे "
सही कहा..
यदि वे लोग फिर से वापस आ गए
तो पुन: प्रेम पढ़ कर मरना
उन्हें शायद मुनासिब न हो सके...
just excellent....!!
Post a Comment