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Sunday, March 21, 2010

उल्के

आजकल
ये तारा
टिमटिमाता रहता है अकेला

अभी कुछ रोज पहले तक
देखता था इसे
चाँद के बहुत क़रीब

उसकी
मुलायम चाँदनी में नहाते हुए

डर है
चाँद जब तक लौट कर आए
ये तारा
कहीं उल्के में न बदल जाए