मैं जीवित रखता हूँ
अपने भीतर
खुद को उदास कर लेने के तमाम साधन
क्यूँ की अक्सर
निकल आती हैं उदास होने की जरूरतें
घर में भी
और बाहर भी
छब्बीस तरह की वजहें मिल जाती हैं
चौबीस घंटे में
जिस पे उदास हो जाना जरूरी हो जाता है
जहाँ तक ख़ुशी के मौसमों की बात है
लगता है
बहुत थोड़े समय के लिए
कभी-कभार
जरूरत लगती है उनकी
और काम चलाया जा सकता है थोड़े से भी
या फिर उनके बिना बिना भी
क्यूंकि ज्यादा रख के भी क्या करना
जब काम हीं ना आये
अपने अनुभव
और की गयी गणना के आधार पे
कहा है मैंने ये सच
और ये सिर्फ मेरा सच नहीं है
मुझे लगता है
वे स्वार्थी और संवेदनहीन लोग हैं
और निष्ठुर भी
जो खुद को उदासी से बिल्कुल दूर
रख पाते हैं और जिन्हें
चौबीस घंटे में छब्बीस वजहें
नहीं दिखती उदास होने के
क्यूँ की वजहें तो हैं उदास होने के
7 comments:
kya khoob kaha hai aapne is rachna ke madhyam se
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
घर में भी
और बाहर भी
छब्बीस तरह की वजहें मिल जाती हैं
चौबीस घंटे में
जिस पे उदास हो जाना जरूरी हो जाता है
sahi kaha aapne udasi manaw jindgi ka ek ang hai!
udasi par achchi rachna.
jab bhi main udaas hota hun
sirf unke hi pass hota hun
kuchh to hain vajah udasi ki
jaise yaadon ki laash dhota hun.
सच कहा आपने ..ख़ुशी की वजहें तो अब रही ही नहीं...बस ढूंढनी पड़ती है!जबकि उदासी की अनेक मिल जायेगी!
मुझे लगता है
वे स्वार्थी और संवेदनहीन लोग हैं
और निष्ठुर भी
जो खुद को उदासी से बिल्कुल दूर
रख पाते हैं और जिन्हें
चौबीस घंटे में छब्बीस वजहें
नहीं दिखती उदास होने के
क्यूँ की वजहें तो हैं उदास होने के
शायद यहाँ हम गलत हैं ...जो अपने आप पर उदासी को हावी न होने दे ....और मुश्किलों में संयम बनाये रखे ...सफल तो वही होता है.....!!
उदासी को चिर कर जो आशा की किरणे निकलती है ..वे ही जीवन को सफल बनती है ..खुद पर इसे हावी न होने दें.
udaas hone ki surte aksar nikal aati hai.....boht khub kaha aapne..kuchh wajah na hone pe bhi udasi chha jati hai.....bhari duniya me jee nahi lagta jane kis cheez ki kami hai abhi.....
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