वो बालकनी में अपने लंबे बालों के साथ है
एक ठीक निश्चित वक्त पे आ जाती है वो कंघा लेकर
वो नीचे जाता हुआ होता है
लगभग उसी वक्त पर
एक दूसरे को देखकर वे दोनों अपने चेहरे सँभालते हैं
वह उसके आंखों में गिरती अपनी आंखों को तीव्रता से रोक लेती है
वह अपनी नजरों को तीव्रता से ऊपर ले जा कर
उसके वजूद में गिरा देता है
और लौटा लेता है
धीरे-धीरे वो अपनी आंखों को ढील देने लगती है
वो भी एक जगह खोज कर वहां होने लगता है
जहाँ से बालकनी उसके लंबे बालों के साथ नजर आती है
कई शामें बीत चुकी हैं
अब वे एक दुसरे को वाद्य यंत्रों पे सुनते हैं
और टेलीविजन पे देखते हैं
अपने साथ नाचते और गाते हुए
प्रकृति की एक सबसे ख़ूबसूरत घटना का
एक और जन्म हो चुका है
8 comments:
कई शामें बीत चुकी हैं
अब वे एक दुसरे को वाद्य यंत्रों पे सुनते हैं
और टेलीविजन पे देखते हैं
अपने साथ नाचते और गाते हुए
प्रकृति की एक सबसे ख़ूबसूरत घटना का
एक और जन्म हो चुका है
sunder rachna.
Thank You, Yogesh Ji, for keep visiting my blog and appreciating. thanks once again.
एक खुबसुरत भाव के साथ एक खुबसुरत रचना .......
प्रकृति की एक सबसे ख़ूबसूरत घटना का
एक और जन्म हो चुका है.............
जीवन के हर एक रंग प्रकृति से जुडी है ...........प्रकृति
मे ही सब रंग समाहित है जीवन का......प्रकृति के एक खुबसुरत से रंग को सुन्दर रुप मे प्रस्तुत किया...........thanks alot....
bahut badhiya likha hai.
parkreetee ki ek sabse khubsurat gatna ka ek or janam ho chuka hai..v nice
कई शामें बीत चुकी हैं
अब वे एक दुसरे को वाद्य यंत्रों पे सुनते हैं
और टेलीविजन पे देखते हैं
अपने साथ नाचते और गाते हुए
प्रकृति की एक सबसे ख़ूबसूरत घटना का
एक और जन्म हो चुका है
ओम जी , कहीं आप ऊपर लगी तस्वीर के भूतों का ज़िक्र तो नहीं कर रहे.....??
दिलचस्प.......हमें तो गोया एक बालकनी सी दिख रही है.
bahut hee sundar abhivayakti hai shubhkaamnaaye
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