हालांकि
यूथ हॉस्टल के जरा आगे
जहाँ शहीद स्मारक है
उनकी सीढ़ियों पे अभी भी बैठते हैं कुछ युगल
अभी भी होती है उन पे बारिश
और कभी-कभी तो ख़ास सिर्फ उन सीढ़ियों के लिए हीं
मैं नहीं गुजरता उस तरफ से,
मुझ पे नहीं होती अब बारिश
उसी तरह
डियर पार्क के पास
अभी भी बिकती है कॉफ़ी
बल्कि अब बढ़ गयी हैं कॉफ़ी की दुकाने वहां पे
और उससे सटे बगीचे में पड़े पत्थर के बेंचों पे
स्थायी रूप से बैठा करते हैं
सहसंबंध
पर मैं संबंध के सह नहीं अब
इसके अलावा वे अवस्थित हैं
जलमहल के किनारे
नाहरगढ़ की ऊँचाइयों पे
सेन्ट्रल पार्क के भव्य खालीपन में
जवाहर कला केंद्र की कलाओं में
यहाँ कुछ और नाम आसानी से जोड़े जा सकते हैं
कुछ और भी जगहें हैं
जो प्यार में उगाई गयी हैं
या उगाई जा रही हैं
जिनके बारे में कईयों कों मालुम नहीं
पर जहाँ जन्म लेती हैं
अनंत प्रेम कलाएं नियमित तौर पे
पर मुझे क्यूँ लगता है
कि स्टेच्यु सर्कल से लेकर सेन्ट्रल पार्क तक
या फिर यूनिवर्सिटी से लेकर जवाहर कला केंद्र तक
या आमेर से लेकर जंतर मंतर तक
कहीं बचा नहीं है प्यार
बिलकुल हीं नहीं
मैं अक्सर सोंचता हूँ...
प्यार तो शाश्वत है
वो तुम्हारे जुदा होने से ख़त्म कैसे हो सकता है !
23 comments:
बहुत खुब ओम भाई, आपकी ये रचना दिल को छू गयी ।
मैं अक्सर सोंचता हूँ...
प्यार तो शाश्वत है
वो तुम्हारे जुदा होने से ख़त्म कैसे हो सकता है !
inhi panktiyon mein sara saar chupa hai ..........bahut hi sundar.
aaj pyar pa rmaine bhi ek post dali hai ..........padhiyega .
http://vandana-zindagi.blogspot.com
badi baat kah gaye sahab aap !
सच कहा आपने "प्यार तो शाश्वत है" किसी के जुदा होने से ख़त्म नहीं होता... हाँ ! एक टीस रह जाती है मन में... शायद उन पलों की याद में जो साथ बिताये थे कभी या कभी साथ बिताते...
बहुत सुंदर.... सुंदर शब्दों के साथ यह रचना दिल को छू गई.....
sundar shabd behtar vichar
mere to shabd aapki rachna padhkar khatam hi ho jate hain....tooo good.
मैं अक्सर सोंचता हूँ...
प्यार तो शाश्वत है
वो तुम्हारे जुदा होने से ख़त्म कैसे हो सकता है !
yahi sach hai, aur ek shaandaar abhivyakti ke liye badhaai.
बेहतरीन। लाजवाब।
प्यार के लिए उगाई जा रही जगहों से होकर आई यह कविता प्यार सी ही खूबसूरत है...
behtreen..
प्यार खत्म नही होता है, हर युग के बाद भी थोड़ा सा बच जाता है, और प्यार करने की जगहें भी बची रहती हैं कहीं-न-कहीं, बस हर पीढ़ी, कम्यूनिटी, समय के हिसाब से बदलती रहती हैं..मंदिर से लाइब्रेरी तक तो कभी गार्डेन से शापिंग मॉल तक स्थान लोगों को ढ़ूँढ ही लेते हैं..
..हाँ मगर शाश्वत प्यार को किसी खास जगह खास समय की जरूरत नही होती, वही तो है स्पेस-टाइम की विमाओं से परे होता है...
....तभी दिखता भी नही कहीं...
प्रेम तो शाश्वत होता है ,इसमें क्या शक
हां कुछ जगहें ऐसी ही होती हैं जो ताउम्र याद रह जातीं हैं. बहुत सुन्दर.
बहुत खूब आप कई दिन बाद नज़र आये किसी ब्लाग पर तो भागी चली आयी
मैं अक्सर सोंचता हूँ...
प्यार तो शाश्वत है
वो तुम्हारे जुदा होने से ख़त्म कैसे हो सकता है !
मर्म्स्पर्शी अभिव्यक्ति बहुत बहुत शुभकामनायें
मैं अक्सर सोंचता हूँ...
प्यार तो शाश्वत है
वो तुम्हारे जुदा होने से ख़त्म कैसे हो सकता है !
सुन्दर अति सुन्दर
यक़ीनन जब आप इस मूड में होते है ...तब अपना बेस्ट देते है........
चीज़े भी वही रहती है.यादें भी.सिर्फ उसके चले जाने से प्यार ख़तम नहीं हो जाता.क्यूंकि प्यार तो शाश्वत है.
वाह बहुत ही सुन्दर रचना ! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
गहरे भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
हाँ सच में .... प्यार जुदा होने भर से कैसे ... ? हाउ????
प्यार तो शाश्वत और अजर अमर है .....
आह...
कहां-कहां से निकाल लाते हो आप भी ये एकदम आस-पास वाले ऐसे बिम्ब?
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