जिस सपने में
पहली बार तुम मिली मुझे
उसे मैंने जागने के बाद
न जाने कितनी बार देखा होगा
पहले की तरह हीं
आगे भी
मैं देखता रहूँगा
बार-बार उसे,
उस ख्वाब को
जिसमें मैं चूम आया था
तुम्हारी आँखों के आग
यह तय होते हुए भी
कि तुम मिलोगी किसी नियत समय में
एक निश्चित जगह पर
मैं ढूंढता रहूँगा तुम्हे
बेपनाह सड़कों पर
और मेरी हताश और थकान
तुम छिपा लेना अपने वक्ष में
जब मिलो मुझे
हम बांटते रहेंगे
अपनी व्यस्तताएं
और बनाते रहेंगे निरंतर
प्यार के लिए जगह और समय
और हमेशा रखेंगे ये ख्याल
कि आगे पृथ्वी को छोटे होते जाना है
और धीरे-धीरे उसके
अपनी धुरी पे
घूमने के घंटे कम होते जाने हैं
सहवास के दौरान
मैं तुम्हारे आँखों में भर दूंगा सपने
ताकि कुछ और नन्हें सपने
खोल सकें अपनी पलकें
ताकि गर कभी प्रेम क्षीण हो जाए
जैसे कवितायें क्षीण होकर क्षणिकाएं हो जाती हैं
तब भी वे नन्हे सपने पहाड़ पे चढ़ सकें
और उनका कोई शीर्षक हो
क्यूंकि सपने क्षणिकाएं नहीं हैं
वे बिना शीर्षक के अच्छे नहीं लगते
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12 comments:
bhut sunder.nice.
बहुत प्यारी कविता है...प्यार की जगह बनाते हुए दिन पर दिन छोटी होती पृथ्वी पर सपनों को विस्तृत करते हुए ... आपकी कविताओं की आख़िरी दो लाइनें गहरा असर करती हैं.
क्यूंकि सपने क्षणिकाएं नहीं हैं
वे बिना शीर्षक के अच्छे नहीं लगते
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....सुन्दर रहा ये सपनों का संसार
प्यार के लिए जगह और समय
और हमेशा रखेंगे ये ख्याल
bahut sundar panktiyaa
वाह .. बहुत खूब !!
बहुत खूब, सिर्फ सुंदर कविताएँ ही नहीं आपकी कविताओं के शीर्षक भी लाजवाब करते हैं।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
सुन्दर शब्द रचना ।
हमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना... ग़ज़ब ढ़ा दिया...
om ji
har baar ki tarah dil ki athah gahraiyon se nikli sundar kavita hai.......ab iski tarif ke liye shabd kahan se laun?
ओम जी वहीं बात और वहीं अंदाज..भावनाओं की सुंदर प्रस्तुतकरण...धन्यवाद ओम जी
सुन्दर है!
दुनिया के मानचित्र पर टंगी सुखती देश
जहाँ आये सुखे का दौरा पडता हो
जमीन दरकती हो
पृथ्वी की गर्मी से
वहाँ सपनो मे
बारिश,बादल आ जाना भी
बडा ही सुहाना होता होगा..........
क्षीण होते वक्त की हरियाली मे
क्षणिकाये भी भाव की नमी को बनाये रखती हो व्यापकता और सार्थकता लाती हो
भाव के आत्मा मे .......
वक्त भी
छोटा हो जायेगा
अपने धूरी पर
अध्यात्म मोक्ष का मार्ग होगा
सपनो के शीर्षक मे शायद!
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