कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
तुम अपनी जगह बिलकुल सही हो.
तुम्हारा कहना बिलकुल सही,
पर मेरे पास
फुरसत इतनी सी है कि
रुक कर थोडा हांफ सकूं
अब तुम्ही बताओ
कि कोशिश भी करून तो
हांफते हुए कितना
और कैसा प्यार किया जा सकता है!!!
सच है आज के भागमभाग मे समय कहाँ है|बहुत बढिया रचना है बधाई।
अब तुम्ही बताओ कि कोशिश भी करून तो हांफते हुए कितना और कैसा प्यार किया जा सकता है!!!बहुत बढिया
बहुत बढ़िया है भाई.
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3 comments:
सच है आज के भागमभाग मे समय कहाँ है|
बहुत बढिया रचना है बधाई।
अब तुम्ही बताओ
कि कोशिश भी करून तो
हांफते हुए कितना
और कैसा प्यार किया जा सकता है!!!
बहुत बढिया
बहुत बढ़िया है भाई.
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