Friday, December 5, 2008

फुरसत

तुम अपनी जगह बिलकुल सही हो.

तुम्हारा कहना बिलकुल सही,

पर मेरे पास

फुरसत इतनी सी है कि

रुक कर थोडा हांफ सकूं

अब तुम्ही बताओ

कि कोशिश भी करून तो

हांफते हुए कितना

और कैसा प्यार किया जा सकता है!!!

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

सच है आज के भागमभाग मे समय कहाँ है|
बहुत बढिया रचना है बधाई।

manvinder bhimber said...

अब तुम्ही बताओ

कि कोशिश भी करून तो

हांफते हुए कितना

और कैसा प्यार किया जा सकता है!!!

बहुत बढिया

अमिताभ मीत said...

बहुत बढ़िया है भाई.