Monday, March 23, 2009

साइड पन्च- कार से होने वाला फिजिकल और इमोसनल अत्याचार

दिल बड़ी नाजुक चीज होती है पर जाने क्यूँ लोग उसी पे हीं वार करते रहते हैं। छोटे छोटे लोग करें तो बच भी जाएँ पर जब बड़े-बड़े करें तो, भगवान हीं बचाए उन वारों से, तलवारों से। वैसे देखा जाए तो दिल का हाल बेहाल तो पहले से हीं था, अब और भी बदहाल होने वाला है और इस दिल की बदहाली में वे लोग फंसेंगे जिनके पास मुश्किल से एक मोटरबाइक है और जो कार खरीदने की झंझटें नही पाल सकते हैं या फ़िर पालना नही चाहते हैं। मिस्टर दबे ऐसे हीं एक आदमी हैं. पर अब, मिस्टर दबे खोलिए लब, क्या करेंगे अब?

अब तक तो आप समझ गए होंगे कि मेरे इस अनाप शनाप वकवास के पीछे की वजह टाटा की एक लाख रुपये वाली नैनो कार है और मिस्टर दबे के दिल पे एक लाख के कार से होने वाला फिजिकल और इमोसनल अत्याचार है ।

क्या मतलब ?

नंबर एक -उदारीकरण और उधारीकरण (जरा सा डाउन पेमेंट करो और बड़ा सा उधार लो) की महिमा से मोटरसाइकिल तो मिस्टर दबे के घर में पहले हीं आ गयी थी और किसी खास शनिवार या इतवार को बीबी कभी जिन्स - टी-शर्ट में बाइक के दोनों तरफ पैर करके बैठ जाती तो मोटरसाइकिल का मीटर इस उम्र में भी 70 के पार तो चला हीं जाता है । और आप तो जानते हैं गति प्रेमिका और बीबी के बीच का फर्क मिटा देती है । जो की दिल की तबियत के लिए अच्छा होता है. मेरे दोस्तों, मिस्टर दबे के लिए ये किसी फिजिकल और इमोसनल अत्याचार से कम तो नही होगा गर उन्हें कार खरीदना पड़ेगा।

नंबर दो -मिस्टर दबे जब चारपहिया हो जायेंगे, उनकी जो थोडी बहुत एक्सरसाइज हो जाया करती थी बाईक को आगे-पीछे करने में या दायें-बाएँ करने में और आदि-इत्यादि में, वो सब भी खत्म हो जायेगी। और चूँकि कार ज्यादा पेट्रोल पीती है, बजट को बिगाड़ने से बचने के लिए उन्हें निश्चित तौर पे सनफ्लावर आयल कि जगह डालडा या खजूर पीना पड़ेगा। अफ़सोस इस बात का है कि मिस्टर दबे को नही चाह कर भी कार खरीदनी हीं पड़ेगी क्यूंकि मिस्टर दबे के यहाँ सफाई का करने आने वाली बाई के पास भी नैनो होगी (नीचे एस एम् एस स्टोरी पढ़ें ) और तब उनकी बीबी के लिए ये नाकाबिले बर्दाश्त होगा कि मिस्टर दबे बाईक में ऑफिस आयें-जाएँ। यहाँ आप तय करें कि मिस्टर दबे के दिल पे कौन सा वाला अत्याचार ज्यादा हो रहा है।

एस एम् एस स्टोरी: घर में सफाई का काम करने वाली बाई ट्राफिक में काफी देर से फंसी है और तब अपने मोबाईल से फोन लगाती है और कहती है ' मई काम पे थोडा देर से आएगी, इधर बहुत ट्राफिक है और मई फंस गई है, वो पईदल होती तो किधर से भी निकल के आ जाती पर मई अपने नैनो में हई न मेमसाब'

नंबर तीन -आप क्या सोंचते हैं मिस्टर दबे का हाल क्या बाई से कम होगा। अक्सर ऑफिस में लेट होना, बॉस की फटकार सुनना और घर पे होना तो बीबी से सुनना, फटकार सुन के दिल क्या नहीं हो जायेगा बीमार. और तो और फिर पता नहीं किस किस तरह के प्रदुषण अलग, वो सब तो दिल को हीं झेलना है. ऑक्सीजन के लिए वैसे हीं मारा मरी चल रही है जाने क्या होगा मिस्टर दबे के नाजुक दिल का. एक बात और, मिस्टर दबे को एक्सीडेंट से डर भी बहुत लगता है, सो एक्सीडेंट से बच भी गए तो हार्ट अटैक ....रोड की माँ-बहन होगी सो अलग.

अबे बकवास बंद कर......


[नोट- चाइना में , एक मेयर जू जोंघेंग ने 2006 में १० लाख निवासियों से अपील की कि कृपया और कार न खरीदें . क्यूँकि नगर के सड़क पे बहुत ज्यादा दबाब हो गया था और एक्सीडेंट बहुत बढ़ गए थे .]

3 comments:

संध्या आर्य said...

मिस्टर दबे जब चारपहिया हो जायेंगे, उनकी जो थोडी बहुत एक्सरसाइज हो जाया करती थी बाईक को आगे-पीछे करने में या दायें-बाएँ करने में और आदि-इत्यादि में, वो सब भी खत्म हो जायेगी

बहुत समझदारी वाली बात कही है आपने. यह पढ़कर कुछ् लोगों की आँखे खुल जाये.शायद......

Neeraj Rohilla said...

एक ये दिन हैं और एक वो दिन थे जब दूरदर्शन पर विज्ञापन आता था:

ये हैं मिस्टर राममुरारी,
अफ़सर हैं ये इक सरकारी
देर देर तक काम ये करते
फ़िर हैं घर जाने से डरते
इनको सूझा एक उपाय,
अगले दिन एक लूना लाये।

लूना करती पक्का वादा,
खर्चा कम मजबूती ज्यादा,
अब काम भी हैं पूरा कर पाते,
घर में ज्यादा वक्त बिताते।

शान से बोलो चल मेरी लूना,
लूना, शान की सवारी। लगता है अब फ़िर से लूना के दिन बहुरेंगे। :-)

sanjay vyas said...

एक बढ़िया विपरीत चिंतन और वो भी रोचकता के साथ.