Friday, August 14, 2009

कागज़ की स्वतंत्रता!

ट्रैफिक सिग्नल पे

गाड़ियों के शीशे ठोक-ठोक कर

बेच रहा है वो

कागज़ के तिरंगे

और इस तरह

कमा रहा है

थोडी सी आजादी

अपनी भूख से

आज स्वतंत्रता दिवस की

पूर्व संध्या पर

33 comments:

निर्मला कपिला said...

लाजवाब अद्भुत अभिव्यक्ति इस रचना पर तो निश्ब्द हूँ और कुछ कहने के लिये श्बद नहीं मिले स्वतँत्रता दिवस की बधाई

M VERMA said...

आजादी की, स्वतंत्रता के सफर की मार्मिक दास्तान लिख दी आपने. दारूण ----

Mithilesh dubey said...

अच्छी रचना
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

Anonymous said...

हम आजाद हैं ??

अर्चना तिवारी said...

मार्मिक रचना...

Prem said...

भाव मन को अंदर तक छु गए । स्वतंत्र -दिवस की हार्दिक बधाई ।

श्यामल सुमन said...

भूख से आजादी - क्या शब्द चित्र खींचा है आपने ओम भाई। सही चित्रण देश की हालात का। खूबसूरत प्रस्तुति।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut hi oomda rachna......sochne ko majboor kar dene wali......


Omji........ deri se aane ke liye aapse muaafi chahta hoon....... darasal is waqt main delhi mein hoon...... kal se bahut busy tha...... aur net bhi nahi tha...... mera NET USB bhi baarish mein bheeg gaya tha...... to kharaab ho gaya tha...... abhi yun hi chk kiya to chal gaya.... to sabse pehle aapke hi blog pe aaya....

ab jab tak ke aapka blog padh nahi leta hoon ..... to kuch bechaini si bani hi rehti hai.......

bahut hi achchi rachna likhi hai aapne...... hum abhi bhi poori tarah se azaad nahin hain..... physical azaadi tab tak ke maayne nahi rakhti......jab tak ke poore awaam ko bhar pet khaana na mile..... bahut hi ommda rachna.........



A++++++++++=

समयचक्र said...

स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

अमिताभ मीत said...

Bahut khoob. Bahut hi badhiya.

आनन्द वर्धन ओझा said...

ओम भाई,
'कागज़ की स्वतंत्रता' का गहरा प्रभाव पड़ा है मन पर... स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर. बिलकुल अछूता और सच्चा चित्र ! इसके लिए तो बधाई भी नहीं दे सकता... सप्रीत...

परमजीत सिहँ बाली said...

ओम जी,बहुत बढिया रचना है.....सही चोट करती हुई रचना। बधाई स्वीकारें।

Chandan Kumar Jha said...

बेहतरीन अभिव्यक्ती.....क्या हम वास्तव में स्वतंत्र है..?

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वो हर त्यौहार पर
उसी के हिसाब से बेचता है सामान,
और
बाक़ी दिन बेचता है
फूल/किताबें/खिलौने...

गर ख़रीद लाने को पैसे न बचे
तो
फिर फैला देता है हाथ...

वो वहीं रहता है
1947 से आजतक
बस उसी चौराहे पर.

संगीता पुरी said...

आपकी रचनाओं का जवाब नहीं .. आपको जन्‍माष्‍टमी और स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है..बधाई!

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

कृष्ण जन्माष्ट्मी व स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

जय हिन्द!!

भारत मॉ की जय हो!!

आई लव ईण्डियॉ


आभार

मुम्बई-टाईगर
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION

vikram7 said...

स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

shama said...

सुंदर ..हम सभी को मिलके इस दिशा में क़दम उठाने होंगे !

"आईये हाथ उठाये हम भी ...!"

"मेरी जान रहे ना रहे ,
मेरी माता के सरपे ताज रहे "

'ek sawal tum karo'is manch pe aapka swagat hai!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

ati uttam om ji...
happy independence day...

शेफाली पाण्डे said...

मार्मिक रचना
स्वतंत्रता दिवस की बधाई....

nanditta said...

स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

मित्र दिल को छूती हुई मार्मिक रचना
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

Apperna said...

bahut hi badiya likhi hai aapne.

haan-aazadi ke itne saal ho gaye hain, phir bhi hum garibi ko hataa nahi paaye ....apne liye kamane ke liye unke paas bhi to aise hi raaste hain!

na jaae kab bharat garibi aur aatankvaadiyon se aazad honge!!!

jaise Syed ne poocha tha, main bhi poochna chahti hoon "kya hum aazab hain"?

संजीव गौतम said...

ओम भाई आपने तो मौन कर दिया. लहने के लिये शब्द नहीं समने दृश्य दिखाई दे रहा है कविता का..

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

kuchh kahanaa chaah rahaa tha....apki rachna par...kah naa sakaa so...kuchh pesh kar rahaa hun.....क्या हुआ जो मुहँ में घास है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो चोरों के सर पर ताज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो गरीबों के हिस्से में कोढ़ ओर खाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो अब हमें देशद्रोहियों पर नाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो सोने के दामों में बिक रहा अनाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो आधे देश में आतंकवादियों का राज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या जो कदम-कदम पे स्त्री की लुट रही लाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो हर आम आदमी हो रहा बर्बाद है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो हर शासन से सारी जनता नाराज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो देश के अंजाम का बहुत बुरा आगाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
इस लोकतंत्र में हर तरफ से आ रही गालियों की आवाज़ है
बस इसी तरह से मेरा यह देश आजाद है....!!!!

Urmi said...

वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

ज्योति सिंह said...

verma ji ki baton se main bhi sahmat .jai hind .

हेमन्त कुमार said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। आभार ।

सर्वत एम० said...

भाई आपकी दृष्टि की प्रशंसा करूं, लेखन की सराहना करूं या सम्वेदना को सराहूं,आपने उस जगह खड़ा कर दिया है जहाँ बोलने की स्थिति ही नहीं बचती है.

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’

Meenu Khare said...

बहुत सुन्दर ओम जी.. अद्भुत अभिव्यक्ति. मार्मिक रचना...आप बहुत सम्वेदनात्मक लिखते है.

दिगम्बर नासवा said...

Adhbudh likha hai......jahaan aazaadi ka parv hai vahaan desh ke aise haalaat bhi hain...... poore maayne mein aazaadi shayad aa hi nahi saki hai hamaare desh mein.......aapki maarmik, dil ko choone waali abhivyakti dil ko hilaa gayee hai..... sochne par majboor karti hai aapki ye rachnaa...... lajawaab...