Friday, August 21, 2009

आओ थोड़ा और आगे चलते हैं !

छोटा सा एक स्पर्श
धीमे से
तुम्हारी उंगलियों में फँसाया था कभी,
वो भी ख्वाब में
और कैसे अंगीठी हो गयी थी तुम्हारी साँसे

पीछे दीवार से टिका कर तेरी पीठ
मैने देनी चाही थी तुम्हें
अपनी धौंकनी
याद है?

पर तुमसे सहेजा ना गया था
और अकबका कर चली गयी थी तुम
ख्वाब से,
जैसे कि डर गई होओं लौ में बदलने से .

आज फिर देखा है तुम्हे
वही ख्वाब है,
पर आज तुमने अपनी पंखुडी पे

मेरे लब आने दिये

और लौ पकड़े तुमने ख़ुद अपनी हाथों से

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!

ये कविता मेरी आवाज में सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे


50 comments:

समयचक्र said...

भावपूर्ण रचना ....

Renu goel said...

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद .....बहुत ही सुन्दर ख्वाब होगा तभी तो ऐसी बात कह दी आपने ...इन ख्वाबों को सजाये रखना

विनोद कुमार पांडेय said...

एक सुखद एहसास की अनुभूति कराती हुई,आपकी यह कविता दिल को छू जाती है.

बधाई!!

श्यामल सुमन said...

कुछ सिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं।
ओम जी लेखन में रोज ऊँचाई चढ़ते हैं।

M VERMA said...

बहुत भावपूर्ण और एहसास की रचना.
"कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!"
ख्वाब के रिश्ते --

जितेन्द़ भगत said...

संक्षि‍प्‍त और सुंदर।

सागर said...

छोटा सा स्पर्श
धीमे से
तुम्हारे उँगलियों में फसाया था कभी

यह... लिख कर मुश्किल कर दी गुरु...

दिन में ही लूट लिया वैसे भी दिल्ली बारिश से सराबोर हो गयी है... इसी की कमी थी बस आपने पूरी कर दी...

मुकेश कुमार तिवारी said...

ओम जी,

बड़ी ही खूबसूरत रचना, भावनाओं और अहसासों से भरपूर/लबरेज।

कमाल करते हैं आप।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

डिम्पल मल्होत्रा said...

kitni sahi baat kahi aapne kuchh rishte khab me hi aage badte hai....kyee baar to khab hi ban jate hai......

Vinay said...

बहुत सुन्दर काव्य रचना है
---
मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!

anokha rista hai aap ka khwao se

mehek said...

waah manbhavi rachana,
पर आज तुमने अपनी पंखुडी पे


मेरे लब आने दिये


और लौ पकड़े तुमने ख़ुद अपनी हाथों से

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!
ye lines bahut achhi lagi.

nanditta said...

छोटा सा एक स्पर्श
धीमे से
तुम्हारी उंगलियों में फँसाया था कभी,
सुन्दर भाव लिये

Unknown said...

अत्यन्त कोमल स्पर्श है आपकी कविता में........

प्रवाह है लेकिन प्यार के साथ..........

साधु !

साधु !

Mithilesh dubey said...

भावपूर्ण रचना। ओम जी आपकी एक और लाजवाब रचना जो कि सिधे दिल तक उतर गयी।

kshama said...

आपके लेखन पे टिप्पणी देनेसे हर बार कतराती हूँ ...अल्फाज़ नही होते ....एक दर्द का समंदर , यादों की मौजें लेके हिचकोले खाता रहता है ..हम उसमे डूबते उभरते रहते हैं .. मन की अथांग गहराई का थाह कौन ले पाया है?

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

you truly are a magician Mr. Arya

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
This comment has been removed by the author.
Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

कुछ सिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं।

वाह्! अति सुन्दर भावपूर्ण रचना।
आभार्!

अर्चना तिवारी said...

वाह ! आपके ख्वाब तो निराले हैं...कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद...सच है

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

sahi kah rahe hain........ kuch rishte khwaab mein hi aage badhte hain.........

रंजना said...

कोमल भावों की अप्रतिम अभिव्यक्ति....वाह !!!

बहुत ही सुन्दर लगी आपकी यह रचना....आपके बिम्ब प्रयोग अद्भुद हुआ करते हैं....पढ़कर मन आनादित हो जाता है....

Prem said...

खुदा करे आप के ख्वाब सच हों .भावः पूर्ण रचना .

संजीव गौतम said...

और कैसे अंगीठी हो गयी थी तुम्हारी सासें. इस प्रयोग के लिये जितनी भी वाह/दाद दी जाय कम है. बिल्कुल नया चित्र वाह!
कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं.
क्या बात है. कोई जवाब नहीं. बधाई सर पूरी कविता के लिये बधाई जो अपने में एक कहानी है.

gazalkbahane said...

अभिनव बिम्ब व बुनकरी
बधाई
श्याम सखा श्याम

अनिल कान्त said...

सही कहा कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद

Meenu Khare said...

ईश्वर आपके सारे ख्वाब पूरे करे.

Ankit said...

नमस्कार ओ़म जी,
वाह-वाह बहुत ही सुन्दर रचना है, एहसास को बहुत अच्छा पिरोया है.

सदा said...

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद ...बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति तभी तो हम इतनी बेहतरीन रचना पढ़ते हैं, !! बधाई !!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!
क्या कहूं?

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

ॐ जी दिल की गहराई में उतरती एक सुंदरा रचना
मेरी बधाई स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

vandana gupta said...

har shabd dil ko choo gaya...........rishte khwab mein hi aage badhte hain shayad..........kya khoob likha hai............poori kavita ka nichod ek pankti mein hi de diya.........tarif ke liye shabd kam pad rahe hain.

Sonalika said...

kai bar padha, kya kahu, man ko choo gai ye rachana. behtareen lekhan, or behad khoobsurat awaj, apki awaj ke sath ye shad or bhi khoobsurt lage.

सर्वत एम० said...

ओम जी, आप दिन प्रतिदिन उन्नति की सीढियां चढ़ते जा रहे हैं. आप की कविताएँ आप बीती जैसा आनन्द देती हैं. समझौता न कीजियेगा, इन तेवरों को बरकरार रखियेगा.

Chandan Kumar Jha said...

अद्भुत अनुभूति..सुन्दर एहसास. बहुत सुन्दर

Dr. Amarjeet Kaunke said...

bahut kam blogs pe aisi achhi aur maulik kavitaen padne ko milti hain jo der tak bhitar ek unmaad sa bhare rakhti hain...really ur poems r very beautiful n painful....amarjeet kaunke

Yogesh Verma Swapn said...

behad khoobsurat andaaz men likhi sunder abhivyakti.

vallabh said...

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद...सही कहा आपने...

डॉ .अनुराग said...

जैसे कि डर गई होओं लौ में बदलने से .

आज फिर देखा है तुम्हे
वही ख्वाब है,
पर आज तुमने अपनी पंखुडी पे

मेरे लब आने दिये

और लौ पकड़े तुमने ख़ुद अपनी हाथों से

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!







आखिरी शाब्द जैसे हाथ बढाकर छु लेते है मन को....

दर्पण साह said...

"पीछे दीवार से टिका कर तेरी पीठ
मैने देनी चाही थी तुम्हें
अपनी धौंकनी
याद है?"


wah om ji kya likhte hai aap?

ek din main hi kai poems padh daali aapki...

acche lekhan ke liye badgai sweekarein.

:)

शरद कोकास said...

भई कविता तो अच्छी है ही आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है . आनंद द्विगुणित हो गया

शरद कोकास said...

हाँ भाई ओम यह आवाज़ मे रिकार्ड करने का तरीका मुझे भी चाहिये मेरे इमेल पर डिटेल्स भेज सकेंगे क्या? -शरद कोकास

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत और सुंदर भाव एवं अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना काबिले तारीफ है! आपका हर ख्वाब पूरा हो यही मेरी भगवान से प्रार्थना है!

Mishra Pankaj said...

कुछ सिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं।

वाह्! अति सुन्दर भावपूर्ण रचना।
आभार्!

Mumukshh Ki Rachanain said...

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद .....

सुन्दर भावनात्मक कविता पर हार्दिक बधाई.

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.. क्या बात है... बधाई...

vikram7 said...

आज फिर देखा है तुम्हे
वही ख्वाब है,
पर आज तुमने अपनी पंखुडी पे
लाजवाब कविता

निर्मला कपिला said...

आज फिर देखा है तुम्हे
वही ख्वाब है,
पर आज तुमने अपनी पंखुडी पे

मेरे लब आने दिये

और लौ पकड़े तुमने ख़ुद अपनी हाथों से

कुछ रिश्ते ख्वाब में ही आगे बढ़ते हैं शायद!
बहुत सुन्दर मौन के खाली घर को ऐसे ख्वाबों से भरते रहिये बधाई

डिम्पल मल्होत्रा said...

apki awaaz me ese suna aaj ....bas suna hi or kuch nahi......

Anonymous said...
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