Saturday, August 29, 2009

जिद

धूप में पड़े रहे वो
खुले आसमान के नीचे
सूखते-टटाते
आखिर तक

पहले रंग उतरे उनके
और फिर उधडती गई
धीरे-धीरे
सीवन उनके बीच की,

छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद

मगर वे अड़े रहे
न छाँव खींची, न जिद अपनी
पड़े रहे वे धूप में चिद्दिया उड़ने तक.

जाने क्यूँ, जाने कैसे!

36 comments:

डिम्पल मल्होत्रा said...

छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद...sahi kaha aapne ek ne maan li hoti agar dusre ki zid...kabhi barbad hum nahi hote,teri marzi agar nahi hoti.....

वन्दना अवस्थी दुबे said...

कितनी सहजता से इतनी असहज बात कह दी आपने.

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' said...

आपकी रचनाये मुझे अति प्रिय है ओम जी ............जिद .........ने फिर अवाक कर दिया ........आप धीरे-धीरे मारते हैं ,पर सच मार ही डालते हैं .............मर गया मैं आपकी जिद पर ...........

vikram7 said...

छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद
अति सुन्दर अभिव्यक्ति

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर!!!!!!

Mishra Pankaj said...

बहूत खूब ओम भाई

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया व सुन्दर रचना है।बधाई।

सदा said...

बहुत ही बेहतरीन रचना बधाई ।

Yogesh Verma Swapn said...

om ji, bhaiya aaj to thok baja kar shabashi dene ko man kar raha hai. de dun . chalo di. shabash bahut khoob.

रंजू भाटिया said...

बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने
छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद

सुन्दर

Arshia Ali said...

Aapki rachnaaon men gazab ke bhaav hote hain.
( Treasurer-S. T. )

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

काश ऐसा होता हम सब समझ जाते इस बात को,
सुन्दर बात,सटीक शब्द चयन,और नायाब प्रस्तुति.

Unknown said...

जीवन की उलझन का सांगोपांग वर्णन करती
इस प्यारी कविता में आपने
धूप-छाँव के माध्यम से
उम्दा बात कही.......
बढाई !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

जीवन में पहल ज़रूरी है

M VERMA said...

छाँव खीचकर वे --- आशियाना जमा लिये होते ---
इतनी जिद क्यो?
बहुत सुन्दर

mehek said...

sahi hai,zidd mein kabhi kabhi sab kuch kho jata hai,sunder rachana.

Anjelanima_एंजेला एनिमा said...

bahut sunder

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया !!

गौतम राजऋषि said...

आपकी ये छंद-मुक्त कवितायें विशिष्ट होती हैं!!!

नवनीत नीरव said...

jid........yahi shirshk diya hai aapne om ji.hamri anginat bahvnao ke beech ye bhi ek aisi bahvna hai jismein log mar mitne ke liye taiyar ho jate hain.jaise har nakaratmak soch ka natija nakaratmak hi hota hai..wahi iska bhi hota hai.
In sari baton ko aapne bade hi achchhe dhang se prastut kiya hai.Bahut pasand aayi aaki ye JID ek achchhi kavita likhne ki.
Navnit Nirav

Unknown said...

बहुत सुन्दर.

mark rai said...

छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद.....
very nice.....

Meenu Khare said...

छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद

ओम जी दूसरी पँक्ति में "जमा लिए होते" की जगह यदि "जमा लेते" कर दें तो व्याकरण की दृष्टि से अधिक उपयुक्त होगा.

कविता सुन्दर है.

Vipin Behari Goyal said...

बहुत अच्छे

चन्दन कुमार said...

kya jadoo hai om bhai aapki rachna me lajwab

pooja joshi said...

आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद...
बहुत सुंदर है

योगेन्द्र मौदगिल said...

सुंदर.. भावपूर्ण रचना.. वाह..

vandana gupta said...

bahut hi khoobsoorat ahsaas........bhavon ko baandh diya hai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

शानदार प्रस्तुति।
बधाई!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

छाँव खींच कर वे
आशियाना जमा लिये होते, गर
एक ने मान ली होती दूसरे की जिद..

bahut hi sahaj aur saral kavita.......
khoobsoorat.....

Urmi said...

मुझे आपकी हर एक रचनाएँ बेहद पसंद है ! बहुत ही सुंदर भाव के साथ आपने इस रचना को प्रस्तुत किया है!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

once again a very nice composition....
great work....

दिगम्बर नासवा said...

SACH KAHA AAPNE ....... KAI BAAR POORA JEEVAN BEET JAATA HAI BAS APNI APNI JOOTHI SHAAN NAHI TOOTTI ...... YE EGO UM PALON KO BARBAAD KER DETI HAI JO JEEVAN BAN KER JIYE JAA SAKTE HAIN ........ BAHOOT KHOOBSOORAT RACHNA ........

अपूर्व said...

अक्सर रिश्ते भी ऐसे ही चिन्दी बन जाते हैं..वक्त के बदलते मौसम मे..जिद और ठहराव की वजह से..खूबसूरत..कई बातें एक साथ कह दी आपने.

Anonymous said...
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