दरार पड़ते समय दर्द होता है
और
दर्द होने से दरारें पड़ती हैं
दर्द और दरार दोनों हीं क्रमवार हैं
एक के पीठ पे एक
दरारें पड़ रही हैं
दर्द हुआ जा रहा है
दर्द हुआ जा रहा है
दरार पड़ती जा रही है
कुछ समय बाद दर्द नही होगा
दर्द होने के लिए पानी जरूरी है बदन में
फ़िर शायद दरार भी नही होगा
क्रम टूटेगा
पर चाहता हूँ क्रम टूटे नही
पानी बचा रहे
क्यूंकि जब तक
एक भी बूँद पानी है
चमन के लौटने की उम्मीद है
6 comments:
दरारें पड़ रही हैं
दर्द हुआ जा रहा है
दर्द हुआ जा रहा है
दरार पड़ती जा रही है
ओम का प्रकाश हो
फिर भी इतना हताश और निराश हो
सभी कविता प्रेमियो की तलाश हो
फिर भी इतना हताश और निराश हो
न होओ हताश और निराश
क्योकि आप हो ओम का प्रकाश
बहुत सुंदर...
दर्द और दरार दोनों हीं क्रमवार हैं
एक के पीठ पे एक
दरारें पड़ रही हैं
दर्द हुआ जा रहा है
दर्द हुआ जा रहा है
दरार पड़ती जा रही है
sahi hai...
dard aur darar ka sangam jab bhi hoga to aisa hi hoga...........magar ummeed bandhi huyi hai to phir kis baat ka darna.
bahut khoob.
पर चाहता हूँ क्रम टूटे नही
पानी बचा रहे
क्यूंकि जब तक
एक भी बूँद पानी है
चमन के लौटने की उम्मीद है
KYUNKI JAB TAK EK BOOND BHI PAANI HAI.....................UMMEED HAI.
WAH, BAHUT KHOOB. SARAHNIYA RACHNA.
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