मैं कृतज्ञ हूँ
उस जीवन के प्रति
जो मुझमें और तमाम अन्य जीवों में
लगातार साँसें ले रहा है
मैं कृतज्ञ हूँ
उस सूरज के प्रति
जिसने ऊर्जा भेजने में
कभी कोई चूक नही की
और जिसके बिना
अकल्पनीय थी हमारी सर्जना
मैं कृतज्ञ हूँ
उस प्रकृति के प्रति
जिसने हवा, पानी, पेड़, बादल बिजली, बारिश, फूल
और खूशबू जैसी चीजें बनाई
और उन पे किसी का जोर नही रखा।
मैं कृतज्ञ हूँ
प्रत्येक सृजन
और उसके लिए मौजूद मिट्टी के प्रति
मैं आँसू, हंसी, शब्द, शोर और मौन जैसी
चीज़ो के प्रति भी कृतज्ञ हूँ
जो मेरी कविता का हिस्सा बनते हैं
और अन्त में
उन सब चीज़ो के प्रति
जो अस्तित्व में हैं
और जिनकी वजह से
दुनिया सुंदर बनी हुई है पर
जो यहाँ,
इस कविता में नही आ सके
जैसे स्त्री और बच्चे
मैं कृतज्ञ हूँ।
मैं कृतज्ञ हूँ सबके लिए !
7 comments:
कृतज्ञता बरकरार रको..इसके बिना गुजारा भी नहीं.. :)
बेहतरीन रचना!!
होली की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
मैं कृतज्ञ हूँ
उस प्रकृति के प्रति
जिसने हवा, पानी, पेड़, बादल बिजली, बारिश, फूल
और खूशबू जैसी चीजें बनाई
और उन पे किसी का जोर नही रखा।
aapki is rachana ke liye mai kritagya hu
aapki is sunder bhawna ke liye mai kritgya hu
सुंदर रचना ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।
सुन्दर भावपूर्ण रचना.
होली के इस शुभ अवसर पर हमारी हार्दिक शुभकामनाये.
Main kritagya hmm nature ke prati jisne itna Sundar sab Kuch Diya
Main kritagya hmm nature ke prati jisne itna Sundar sab Kuch Diya
Main kritagya hmm nature ke prati jisne itna Sundar sab Kuch Diya
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