Wednesday, March 11, 2009

रंग-सबरंग!

(1)
कुछ रंग हैं कुवाँरे
रखे मेरे पास
इस होली पे
सोंचता हूँ
निकालूँ उन्हें
पर तभी जब
तुम अपनी मांग सामने कर दो
(2)
आज होली के दिन आओ
अपने होंठो पे रंग रख के,
गर तेरी इजाज़त हो
तेरे लबों पे
अपना गुलाबी इश्क रख दूँ
(3)
होली आने के
बहुत पहले से हीं
हवा हर ओर
फैला रही है
गुलाल
प्रकृति का गुलाल- धूल

5 comments:

रंजू भाटिया said...

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ सब रंग बहुत अच्छे लगे बहुत बढ़िया

शोभा said...

कुछ रंग हैं कुवाँरे
रखे मेरे पास
इस होली पे
सोंचता हूँ
निकालूँ उन्हें
पर तभी जब
तुम अपनी मांग सामने कर दो
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति। होली मुबारक।

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर और नाजुक अभिव्यक्ति!!

आपको होली की मुबारकबाद एवं बहुत शुभकामनाऐं.
सादर
समीर लाल

vandana gupta said...

BAHUT HI UMANG BHARI AUR BHAVBHINI PRASTUTI.

अमिताभ मीत said...

बहुत उम्दा रंग हैं भाई. बहुत खूब. होली की हार्दिक शुभकामनाएं.