एक अरसे बाद
बिताया सारा दिन आज तुम्हारे साथ
सुबह, तुम्हारे ख्वाब में आँख खोली थी
फ़िर बरामदे में कुर्सी डाले मारता रहा तुमसे गप्प
पूरे इत्मीनान से,
इसी बीच खत्म की चाय की दो प्यालियाँ भी
फ़िर कमरे में आकर,
रोशनदान से आती हुई धुप की जिस बारीक गरमाहट में
भींगता पड़ा रहा देर तक बिस्तर पे,
वो भी तुम्हारी हीं थी
जब नहाने गया तो
वहां भी आ गई तुम
पीठ पे साबुन मलने के बहाने
परोसा खाना अपने हाथ से
खाया मेरे साथ हीं आज कितने दिन बाद
और मेरे सिंगल-बेड पे मेरे साथ लेट कर फ़िर
सुनाती रही मुझे नज्में
फिर जरा सा आँख लगते हीं जाने कहाँ चली गई
उठा तो देखा कि शाम थी और उदासी थी
तुम्हारे मूड का भी न, कोई भरोसा नही!
बिताया सारा दिन आज तुम्हारे साथ
सुबह, तुम्हारे ख्वाब में आँख खोली थी
फ़िर बरामदे में कुर्सी डाले मारता रहा तुमसे गप्प
पूरे इत्मीनान से,
इसी बीच खत्म की चाय की दो प्यालियाँ भी
फ़िर कमरे में आकर,
रोशनदान से आती हुई धुप की जिस बारीक गरमाहट में
भींगता पड़ा रहा देर तक बिस्तर पे,
वो भी तुम्हारी हीं थी
जब नहाने गया तो
वहां भी आ गई तुम
पीठ पे साबुन मलने के बहाने
परोसा खाना अपने हाथ से
खाया मेरे साथ हीं आज कितने दिन बाद
और मेरे सिंगल-बेड पे मेरे साथ लेट कर फ़िर
सुनाती रही मुझे नज्में
फिर जरा सा आँख लगते हीं जाने कहाँ चली गई
उठा तो देखा कि शाम थी और उदासी थी
तुम्हारे मूड का भी न, कोई भरोसा नही!
37 comments:
अच्छी लगी यह अभिव्यक्ति
"mood ka bhi bharosa nahin"
bahut khoob
umdaa rachna..............
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
बहुत सुन्दर सधी हुई अभिव्यक्ति ! बधाई !
बहुत ही सुन्दर रचना। बधाई
sundar rachana
khushi or udasi se mili juli sunder kavita...
बेहद पसंद आई आपकी यह रचना
आपने तो मूड बना दिया
---
'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!
Khubsurat Abhivyakti...badhai ho.
यादों की घाटी में सब सुन्दर था,दिन ढलते......उदासी भी बोल गई
सुंदर प्रेम कविता आपके अपने अनोखे अंदाज़ में ...
कविता में तुम्हारी मूड की जगह यदि तुम्हारा मूड कर दे तो वाकई मूड बन जाए .
Shukriya Meenu ji.
waah......kya khoob bhav hain.
"tumhare mood ka bhi na, koi bharosa nahi! "
bahut khoob
Prakash Jain
just amazing , kya khoob likha hai mere dost , padhkar man ruk gaya hai mitr. bus badhai hi badhai.. lekin kya ye koi bimb se sajhi hui rachana hai .. main to kalpana lok me kho gaya dost . maaf karna bahut dino baad blogjagat me aaya hoon , aapki tippaniyo ka dil se shukriya ada karta hoon
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
om ji...
kamal kita tussi...
very nice creation...
bahut hi sundar bhav. Badhai!
क्या कहूं..कुछ कहने लायक ही नहीं छोडते आप तो..कविता पढते समय एक-एक पंक्ति चल-चित्र की भांति चलती है आंखों के सामने और जैसे पूरी कविता को जी लेती हूं.
Wakai aap bahut achcha likhte hain.Sahbd chitr mein to aapka koi javab nahi.par ek baat kahni hai ki rachna ka mood badal dein do behtar hoga,kyonki kaphi dinon se ek hi type ki rachnayein meine aapki padhi hain.
Navnit Nirav
yaadon se baahar niklo huzoor.vaastvik jeevan main bhee jhaanko.
angrezi-vichar.blogspot.com
jhalli-kalam-se
jhallevichar.blogspot.com
sundar rachana...|
ओम जी
आपकी रचनाओ की सारी खूबसूरती उस कोमल और बारीक भाव मे होती है जो "तुम्हारे मूड का भी न, कोई भरोसा नही!" मे है.
एहसास के इसी बिन्दु पर तो शायद कविता मूर्त रूप लेती है.
Navneet Ji, You are right
I should change the mood of the poems.
Thanks for your kind suggestion.
om ji bahut sunder rachna ....
तुम्हारे मूड का भी न, कोई भरोसा नही!
सही बात है...
मूड का क्या भरोसा किया जाय...
अच्छी रचना.. बधाई...
वल्लभ
http://puranidayari.blogspot.com/
दिल तक पहुँचती हुई...जाने कितने किस्से याद दिलाती हुई...
शुक्रिया ओम साब एक बेमिसाल प्रेम-कविता के लिये !
संग लिये जा रहा हूँ किसी के लिये...
कमाल है ..ओम जी बहुत सुन्दर अंदाज ..मुझे तो बहुत पसंद आया ..
mood hai ya khwab . ..... jo bhi hai khoobsoorat hai
sachmuch koi bharosa nahi.
तुम्हारे मूड का भी ना कोई भरोसा नहीं ,...............पहली बार आज़ आपके ब्लॉग पर आया ,मुझे आपकी रचना का मूड दिल से पसंद आया ,सच्ची बात कही हैं आपने ओम भाई ...............
मूड का तो ऐसा ही है जी और वो भी 'उनके' मूड की बात हो तो :)
एक सुन्दर कविता......
KITNA KOMAL LIKHA HAI.........KOI DIL SE CHAHNE WAALA HI LIKHA SAKTA HAI OM JI........UNKE MOOD KI DAASTAAN LAJAWAAB HAI...BIKHRI YAADON KI TARAH
बढ़िया ओम जी..
सुंदर रचना
सभी रचनायें एक से एक ...यह रचना भी बहुत बेहतरीन लगी.
बहोत खूब ओम जी! मजा आ गया आपकी ये रचना पढके।
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