Friday, August 14, 2009

एक कसी मुट्ठी वाली कविता

लड़की
सिक्का-सिक्का जमा कर रही है
धारदार अक्षरों और नोकीले शब्दों को
जो कभी नही रहे उसके गुल्लक में
और पिरोने की तयारी में है
एक कसी मुट्ठी वाली कविता

लड़की को मिल गया है
आसमान
जहाँ वो अभिव्यक्ति रख सके

11 comments:

गुंजन said...

ओम जी,

बहुत ही गहरे अर्थ समेटे कविता प्रभावी है और उस आसमान पर चमकते हुये उसके पसीने में अक्षर गीत बनकर गूंजते रहे सदा।

पत्रिका-गुंजन और मुकेश कुमार तिवारी

एक साहित्यिक पहल से जुड़ने के लिये आप आमंत्रित हैं

विनोद कुमार पांडेय said...

सुंदर अभिव्यक्ति,
कम शब्दों मे बेहतरीन भाव पिरोया आपने..

ओम जी,
जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की ढेर सारी बधाई..

Vinay said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES

Unknown said...

dhnya
dhnya
kavita ananya..........
badhaai !

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

कम शब्दों मे सुंदर अभिव्यक्ति....वाह... वाह-वाह... वाह-वाह-वाह....

निर्मला कपिला said...

वाह ओमजी गागर मे सागर बहुत सुन्दर आभार्

Chandan Kumar Jha said...

अच्छी लगी यह रचना. आभार.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya baat hai....
ati uttam..

Meenu Khare said...

बहुत ही गहरे अर्थ समेटे कविता सोचने पर मजबूर करती है.

दिगम्बर नासवा said...

Om ji
Bahoot achha likha hai....sach mein aaj ki ladki ko yahio chaahiye....barson se pisti aa rahi..mook kisi gaay ki tarah, jisne chaaha usne dhakel diya....jahan chaaha usko faink diya...... us ladki ko sach mein apne aasmaan ki jaroorat hai....... bahoot kam shabdon mein poori baat.... lambee daastaan kah di hai..... bahoot hi shashakt...

डिम्पल मल्होत्रा said...

ladki ko mil gya aasman....udan bharne ko....sunder kavita...