Monday, February 8, 2010

बार-बार 'चेन पुलिंग' हो रही है ...

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बार-बार 'चेन पुलिंग' हो रही है

जिंदगी
थोड़ी देर के लिए रूकती है
और फिर चल देती है

बस हर बार
चेन पुलिंग होने पे
कुछ लोग जिन्दगी से उतर जाते है

**
शहर,
जहाँ गुजारते हैं हम
अपना लहू, अपनी मांस-मज्जा
उम्र भर देते रहते हैं
अपनी त्वचा का प्रोटीन
इसके प्रदुषण कों देते हैं अपना फेफड़ा
अपनी धमनियां व शिराएँ

उस शहर की बाबन हाथ की आंत है
और हमारी औकात सिर्फ साढ़े तीन हाथ की है

***
वक़्त हीं तय करेगा
चीजों का
जरूरी या गैर-जरूरी पना
या रेट करेगा
स्केल पे घटनाओं की तीव्रता
और उसके आधार पे
बचाएगा या खर्च करेगा खुद को

हमारे हाथ में लेते हीं वो रेत हो जाएगा

****

आज टूट गया है,
आइना इश्क का
रूह देखती आयी थी एक उम्र तलक चेहरा जिसमे

बदन छोड़ गया है साथ
बेबा हो गयी है रूह!

*****
कुछ रूहें
जो उलझ जाती होंगी पापकर्म में
उस परलोक में
भर जाता होगा जिनके पापों का घड़ा

वे रूहें पाती होंगी इस पृथ्वी पे
एक बेहद कोमल ह्रदय वाला बदन
और ईमानदार मन
ताकि वे दुःख उठायें लगातार.

20 comments:

मनोज कुमार said...

कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है ।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कुछ लोग जिंदगी से उतर जाते हैं.
बहुत सुंदर चित्र है.
सच भी.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

boht badhiyaa om bhai ji...

shikha varshney said...

मार्मिक रचनाएँ ..दिल की तह तक जाती हुई

kshama said...

Anupmey!

Unknown said...

वाह !

Udan Tashtari said...

सीधे दिल में उतरती....


फॉण्ट कलर तकलीफदायक हो रहा है बैकग्राऊन्ड के साथ.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत ही मार्मिक रचना....

स्वप्न मञ्जूषा said...

yahi hota hai..
sahi vishleshan karti hui saarthak rachna..!!

वीनस केसरी said...

सभी रचनाये बहुत खूबसूरत

M VERMA said...

चेन पुलिंग भी तो किसी के लिये सुविधाजनक होगा.
बेहतरीन रचना

अमिताभ मीत said...

बस हर बार चेन पुलिंग होने पे
कुछ लोग ज़िन्दगी से उतर जाते हैं....

बहुत बढ़िया .. उम्दा रचना .... बधाई !

Meenu Khare said...

सुंदर चित्र.कविता मार्मिक है.

डॉ .अनुराग said...

ओर कभी जिंदगी चेन खीचने से भी नहीं रूकती.....

vandana gupta said...

zindagi ka falsafa bayan kar diya.

सागर said...

"हर बार चेन पुलिंग होने पे
कुछ लोग जिन्दगी से उतर जाते है"

"हमारी औकात सिर्फ साढ़े तीन हाथ की है"

...........परम आनंद सरीखी सत्य... अद्भुत... ले जा रहा हूँ अपने साथ

के सी said...

आपकी इन पक्तियों के बीच जड़े हुए सितारे जरूर मुझे किसी स्टॉप की तरह लगे कि वहीं से लौट कर शब्दों को पुनः देखने का मन हुआ. कुछ रूह का हिस्सा शब्दों में भी उतर आया है जो मुझे बेचैन कर रहा है.

Ambarish said...

chain pulling..
चेन पुलिंग होने पे
कुछ लोग जिन्दगी से उतर जाते है
bahut khoob..

डिम्पल मल्होत्रा said...

बस हर बार
चेन पुलिंग होने पे
कुछ लोग जिन्दगी से उतर जाते है.
अपना स्टेशन आने पे उतरते है लोग.किसी के चैन पुल करने से नहीं.
कुछ रूहें
जो उलझ जाती होंगी पापकर्म में
उस परलोक में
भर जाता होगा जिनके पापों का घड़ा

वे रूहें पाती होंगी इस पृथ्वी पे
एक बेहद कोमल ह्रदय वाला बदन
और ईमानदार मन
ताकि वे दुःख उठायें लगातार.
अपने भीतर के यात्रा से आध्यातिमिकता तक

ओम आर्य said...

डिम्पल, शायद ये कहना ठीक नहीं होगा कि सभी लोगों को उतरने के लिए स्टेशन मिल जाता है...कई लोग बिना स्टेशन के हीं उतार दिए जाते हैं...और यहाँ उन लोगों के बारे में हीं विशेष रूप से कहा जा रहा है...हालांकि ये भी कहा जा सकता है कि जो जहाँ उतरता है वहीँ उसका स्टेशन है...