पुरानापन फैशन में था
पुरानी हवेलियाँ और किले
नए तरीके से पुराने बनाये रखे जाते थे,
उजाड़-झंखाड़ हो चुकी इमारतों पर
लाखो डॉलर खर्च करके
उनके नवीकरण के दौरान
उनका पुरानापन बचा लिया जाता था
नए लोगों में पुरानी चीजों के लिए बड़ा लगाव था
मगर सिर्फ चीजों में
पुराने लोगों में से उन्हें 'बास' आती थी
अमीर लोगों के बीच
गरीब लगने का फैशन था
वे फटी और घिसी हुई जींस ऊँचे दामों में खरीदते थे
और गरीब होने का अमीर सुख उठाते थे
वे वर्तमान में हीं 'एंटिक' हो जाने के प्रयास में थे
इसलिए अक्सर पुराने 'स्टाइल' में नजर आते थे
फैशन के दीवाने लोग
इस बात की बहुत अधिक फिक्र करते थे
कि वे बेफिक्र दिखें
वे 'रिंकल' वाले कपडे खरीदते थे,
बेतरतीब बाल रखते थे
और उनके बीच 'प्रेस' न करने का फैशन था
इसी तरह वे कमर से बहती हुई पैंट पहनते थे
मगर अक्सर
इंसानियत के नाले में बहते जाने के बारे में वे बेखबर होते थे
शो को रियल बनाने का फैशन था
रियलिटी शो में भावुकता के 'सीन' लिखे और फिल्माए जाते थे
वहाँ बहुत अदबी लोग, बेअदबी पे उतर आते थे
कुछ यूँ हँसते थे कि समाज की नब्ज हिल जाती थी
उनमे से कुछ यूँ रो पड़ते थे
जैसे उन्हें पता हीं न हो
कि भारत की एक तिहाई आबादी
इतने तरह के दर्दों में होती है
कि मुश्किल से हीं कभी रो पाती है
दरअसल भावुक होना फैशन में था
और वे डरे हुए थे कि कहीं उनके पास बैठा व्यक्ति
उससे भी छोटी बात पे उससे ज्यादा न रो दे
इन सबको देखता कवि सोंचता है
कि एक घर जो वास्तव में बहुत पुराना है
कि एक आदमी जिसकी जींस वास्तव में फटी है
कि एक आदमी जिसके कपडे वास्तव में मुचड़े हैं
और बाल बिखरे हैं
और जो दर्द से रो रहा है
वो इनके समकक्ष क्यों खड़ा नहीं है
हालांकि कवि कों ये डर भी है
कि कहीं ऐसा न हो
कि ऐसा सोंचना फैशन में हो
और इसलिए वो सोंचता हो...
12 comments:
फ़ैशन फ़साड का दूसरा नाम भर है. सुंदर.
बहुत सही....
आखिरी ४ पंक्तियाँ ...बहुत सही ,सटीक...आजकल लेखन भी तो फैशन है
bahut badhiyaa baat kahi om ji..
आज एकदम अलग मूड की कविता? अच्छी है. बधाई.
फैशन ने सबको अपने आगोश में ले लिया है .. बहुत अच्छी रचना !!
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लगा ! बधाई!
फैशन के दीवाने लोग
इस बात की बहुत अधिक फिक्र करते थे
कि वे बेफिक्र दिखें
नब्ज को गहराई से पकड़ा है आपने. बेफिक्रों के (बिना फैशन के) बीच फिक्रमन्द लोग (फैशन के कारण) फिक्र के विषय हैं.
bahut badhia.
नए आइदीआज़, नया ध्यानाकर्षण और बहुत सारी कसावट... वर्तमान परिपेक्ष्य में प्रासंगिक भी... और क्या चाहिए... सुन्दर बहुत सुन्दर... अंतिम पैरे में घुमा दिया आपने... मेरी तरह
नए अंदाज़ में नयी बात सुन्दर तरीके से कही शुक्रिया
यह तेवर पसंद आया । बहुत सही जा रहे हैं ...
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