Thursday, February 25, 2010

अच्छी चीजों का इंतज़ार कितना अच्छा होता है न !

वो ठीक मेरे
एहसास से लग कर सोती है आजकल
और मैं
अपनी नींद में उसे देखते हुए

कभी-कभी जब

जाग जाते हैं मेरे एहसास उससे पहले
तो रोकता हूँ उनका उठना
ताकि नाजुक नींद टिकी रहे उसकी
और मैं देख सकूँ वही सब जाग कर
जो देखता हूँ सोते हुए

उसकी नींद यूँ लगती है जैसे
भीतर हीं भीतर
कर रहा होऊं मैं
उसके ख्वाब से कोई ठिठोली
और उतर रही हो लाली उसके गाल पर

कभी-कभी हम रजाई बन जाते हैं
और समेटते हैं सिहरन
एक दूसरे की,
हमें देख कर सूरज भी आसमान लपेट लेता है
और सोया रहता है देर तक

मैं चाहता हूँ कि
वो जागे कभी गर मुझसे और सूरज से पहले
तो उठे नहीं बिस्तर से
बस करवट लेकर कविता में आ जाए

ताकि सबसे सुन्दर प्रेम कविता लिखी जा सके उस दिन

और मैं जानता हूँ कि
ये जरा भी मुश्किल नहीं है
सिर्फ उसे पता भर लगने की देर है

पर मैं बताने के बजाय इंतज़ार करता हूँ

अच्छी चीजों का इंतज़ार कितना अच्छा होता है न !

20 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अच्छी चीजों का इंतज़ार कितना अच्छा होता है न !

वाकई में.... सही कह रहे हैं आप....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

ॐ भैया राम राम,
बहुत ही बढ़िया लिखे हैं!
आजकल आते नहीं हो हमारे ब्लॉग पर....
व्यस्त हो गए लगते हो!

निर्मला कपिला said...

और वो उठे नही करवट ले कर आ जाये कविता मे---- लाजवाब अभिव्यक्ति है
तभी तो आज कल आप और भी अच्छा लिखने लगे हो। बहुत बहुत शुभकामनायें

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत बढिया.

M VERMA said...

कभी-कभी जब
जाग जाता हूँ उससे पहले
तो रोकता हूँ अपना उठना
ताकि उसकी नाजुक नींद टिकी रहे
और फिर
अच्छी चीजों का इंतज़ार कितना अच्छा होता है न !
बशर्ते,
इंतजार महज़ इंतजार न रह जाये.

kshama said...

Bas karvat lekar kavita me aa jay..aah!

Udan Tashtari said...

सही कहा..

बहुत उम्दा रचना!

vandana gupta said...

bahut badhiya.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

कभी-कभी जब
जाग जाते हैं मेरे एहसास उससे पहले
तो रोकता हूँ उनका उठना
ताकि नाजुक नींद टिकी रहे उसकी
और मैं देख सकूँ वही सब जाग कर
जो देखता हूँ सोते हुए
अद्भुत!!

सागर said...

उसके ख्वाब से कोई ठिठोली
और उतर रही हो लाली उसके गाल पर

aur


वो जागे कभी गर मुझसे और सूरज से पहले
तो उठे नहीं बिस्तर से
बस करवट लेकर कविता में आ जाए

कमाल की कल्पना... क़यामत बुन देते हो बॉस

डॉ .अनुराग said...

जागे है देर तक
कुछ देर तो सोने दो....
जो खवाब अधूरे है अभी.....पूरा तो होने दो........गुलज़ार...



पर ओम जी .एक सच्ची बात कहूँ .आपके लेवल का टेस्ट आज मिस किया....

ओम आर्य said...

अनुराग जी, जब टेस्ट मिस करें तो जरूर कहें...भले हीं टेस्ट मिल जाए तो ना कहें...
बहुत शुक्रिया...
अगली बार कोशिश करूंगा...

रवीन्द्र प्रभात said...

होली की शुभकामनाएँ...

Anonymous said...

achchhi kavita...

अजय कुमार said...

आपको तथा आपके समस्त परिजनों को होली की सतरंगी बधाई

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

शरद कोकास said...

अच्छी कविता का इंतज़ार खत्म हुआ ।

संजय भास्‍कर said...

सही कहा..

बहुत उम्दा रचना!

अपूर्व said...

और मैं जानता हूँ कि
ये जरा भी मुश्किल नहीं है
सिर्फ उसे पता भर लगने की देर है
पर मैं बताने के बजाय इंतज़ार करता हूँ

अच्छी चीजों का इंतज़ार कितना अच्छा होता है न !

..और हम लोग अक्सर सोचते हैं कि कुछ भी हमारे हाथ मे नही होता है..कोई खुशी, कोई ख्वाब...मगर आपकी कविता को पढ़ कर याद आता है कि फिर भी कितनी छोटी-छोटी बातें, छोटी-छोटी खुशियाँ हमारे हाथ मे ही होती है..बस हम समझ पायें..जिंदगी यूँ भी खूबसूत होती है अक्सर..