Saturday, November 21, 2009

***

*
तेरी अश्कों की
बूँदें देख के
यूँ लगा,

कि
हैं तो वे समंदर हीं ,
सिर्फ किनारे छोटे हैं उनके।

*
जिसका पूरा था मैं
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते,
जो मेरी थी ही नहीं।

*
आज की रात
मैं, तुम
और ये फिसलपट्टी

तुम और कुछ लाना चाहती हो तो
बता देना

28 comments:

Udan Tashtari said...

है तो वो समंदर ही
बस किनारे छोटे हैं...


-अद्भुत कल्पना!! वाह-आनन्द आ गया.

gazalkbahane said...

आसुओं की बाढ़ ,पलको के किनारे
पढ़ कर हम तो बलिहारे- बहुत सुन्दर



तेरी अश्कों की
बूँदें देख के
यूँ लगा,

कि
हैं तो वे समंदर हीं ,
सिर्फ किनारे छोटे हैं उनके।

वाणी गीत said...

जिसका पूरा था मैं
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते,
जो मेरी थी ही नहीं।
.....

समंदर के छोटे किनारे प्रभावित करते हैं ...!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

wah!

अजय कुमार said...

छोटे किनारे वाले समंदर
क्या बात है
आंखो के लिये सुन्दर शब्द

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर कल्‍पना, इस समन्‍दर के छोटे किनारो की व्‍याख्‍या लाजवाब ।

सागर said...

जिसका पूरा था मैं
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते,
जो मेरी थी ही नहीं।

कहाँ की कहाँ फेकी है... क्या कोई मचूवारा समंदर में उतरा है ?

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत ही सुन्‍दर कल्‍पना, इस समन्‍दर के छोटे किनारो की व्‍याख्‍या लाजवाब ।


bahut achchi lagi yeh kavita....

Razi Shahab said...

lajawaab

अनिल कान्त said...

aapka to koi jawaab nahi

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अद्भुत

रश्मि प्रभा... said...

samandar ki kinaaron ki upma bahut achhi lagi

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हैं तो वे समंदर हीं ,
सिर्फ किनारे छोटे हैं उनके।
om ji,

bahut sundar khayaal...
saari kshnikayen bass kamaal hain....badhai

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

om ji mahaaraj,
bahut he bhaavpoorn kalpna hai aapki...badhaayi.

cheers!
surender
http://shayarichawla.blogspot.com/

vandana gupta said...

ashkon ka samandar shayad us samandar se bhi gahra hota hai sirf wo nigaah hi nhi milti jo us gahrayi mein utarna chahae.........bahut hi gahre bhav bhar diye hain.

Yogesh Verma Swapn said...

main sameer ji ki comment ko jyon ka tyon copy paste karna chahta hun.

है तो वो समंदर ही
बस किनारे छोटे हैं...


-अद्भुत कल्पना!! वाह-आनन्द आ गया.

bahut khoob, om ji 9 shabdon men samandar hi to hai.

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर वैसे भी समंदर क्या होता है बूंद पर बूद पर बूंद...................................पर बूंद ।

अपूर्व said...

कितना मुश्किल हो रहा है इस पर कुछ कह पाना

जिसका पूरा था मैं
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते,
जो मेरी थी ही नहीं।

..और फिर यह फ़िसलपट्टी...
उफ़्फ़्फ़....

अनामिका की सदायें ...... said...

pehli baar padha aur pehli baar me hai samander k chhote kinaro ko padh kar aapke mureed ho gaye...bahut bahut badhiya likha hai.

Alpana Verma said...

जिसका पूरा था मैं
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते,
जो मेरी थी ही नहीं।
---
behad bhaavpurn!

'हैं तो वे समंदर हीं ,
सिर्फ किनारे छोटे हैं उनके।[bahut umda kapna!]
--waah! sabhi kshanikayen ek se badhkar ek!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

है तो वो समंदर ही
बस किनारे छोटे हैं...
क्या कहूं? ऐसी उपमाएं, कल्पनायें बहुत कम पढने को मिलती हैं.

डिम्पल मल्होत्रा said...

congratulations.............

हरकीरत ' हीर' said...

तेरे अश्कों की
बूंद देख के
यूँ लगा ,

कि
है तो वे समंदर ही ,
किनारे छोटे हैं ....

वाह बहुत खूब.....ओम जी छू गई .....!!


जिसका पूरा था
उसने
छोड़ दिया मुझको

उसके वास्ते
जो थी ही नहीं मेरी .....

वाह......लाजवाब......!!

तेरी कमी अब भी खलती है दिल को
फुर्सत मिले तो देखना कभी ......
किसी ठूंठ दरख्त को .....!!

ओम आर्य said...

thanks to everybody

डिम्पल मल्होत्रा said...

no cmnts......congrats....

दिगम्बर नासवा said...

आज की रात
मैं, तुम
और ये फिसलपट्टी ...

तीनो ही चित्र कमाल के हैं ....... अलग अलग रंग भरे ........ मुहब्बत की दास्ताँ कहते हुवे ........ बहुत खूब लिखा है ओम जी .........

Rajeysha said...

बहुत खूब।

Anonymous said...
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