Sunday, May 31, 2009

मेरे रंग रखना सहेज कर

दरवाजे रंग लिये खडी रहीं
तुम्हारे पाँव देहली तक फिर लौट कर नही आये

मेरे आधे रंग अभी भी यूँ ही पडे हैं
शुक्र है कुछ तुम साथ ले गयी थी

चौखटो ने रंग धोये नही
शाम तक इंतिज़ार किया तेरी आहटो का
हालांकि वे जानती थी कि तुम्हारा पाना होगा असंभव सा
तुम्हारी पैरों में कोई और ही दहलीज जो बंध गयी है
पर फिर भी इंतिजार किया
शायद अपने सुकून के लिये

कभी यूँ भी लगता है
कि तुम गयी ही कब थी और ये इंतिज़ार क्यों है
पर फिर भी ......

अच्छा लगता है ये सोंच कर कि
मेरे कुछ रंग तुम्हारे पास रहेंगे हमेशा
उन्हें रखना सहेज कर
और देख लेना उन्हें
कभी अगर लगे कि जिंदगी बेरंग होने लगी है

वे रहेंगी तुम्हारे पास तो मेरी होली आती रहेगी

16 comments:

निर्मला कपिला said...

bahut hi bhavmay rachna hai badhai aur aabhar

Unknown said...

atyant bhavpoorna
atyant maarmik
atyant sugathit
badhai!

Anonymous said...

अच्छा लगता है ये सोंच कर कि
मेरे कुछ रंग तुम्हारे पास रहेंगे हमेशा
उन्हें रखना सहेज कर
और देख लेना उन्हें
कभी अगर लगे कि जिंदगी बेरंग होने लगी है

वे रहेंगी तुम्हारे पास तो मेरी होली आती रहेगी

.... बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ....

संध्या आर्य said...

दरवाजे रंग लिये खडी रहीं
तुम्हारे पाँव देहली तक फिर लौट कर नही आये

bhawanaye aisee ki aankh nam ho gayee........hameshaa ki tarah utkrisht rachnaa.....thanks alot

MANVINDER BHIMBER said...

अच्छा लगता है ये सोंच कर कि
मेरे कुछ रंग तुम्हारे पास रहेंगे हमेशा
उन्हें रखना सहेज कर
और देख लेना उन्हें
कभी अगर लगे कि जिंदगी बेरंग होने लगी है
भाव बहुत अच्चे है ......

vandana gupta said...

bahut hi gahri bhavbhini rachna.

kabhi hamare blog par bhi dastak diya kijiye.

दिगम्बर नासवा said...

अच्छा लगता है ये सोंच कर कि
मेरे कुछ रंग तुम्हारे पास रहेंगे हमेशा
उन्हें रखना सहेज कर
और देख लेना उन्हें
कभी अगर लगे कि जिंदगी बेरंग होने लगी है

बहुत ही संवेदन शील रचना......रंगों के माध्यम से जिंदगी का फलसफा लिखा है ..

रंजना said...

Komal bhavo ki sundar abhivyakti ...Waah !!

Vinay said...

बहुत ख़ूबसूरत रचना है

डॉ .अनुराग said...

कभी यूँ भी लगता है
कि तुम गयी ही कब थी और ये इंतिज़ार क्यों है
पर फिर भी ......

ओम जी .....आपके लिखने का एक अलग अंदाज है .जो मौलिक है ....आपका अपना है



ये लाइन भी खूब जमी ...
वे रहेंगी तुम्हारे पास तो मेरी होली आती रहेगी

हरकीरत ' हीर' said...

अच्छा लगता है ये सोंच कर कि
मेरे कुछ रंग तुम्हारे पास रहेंगे हमेशा
उन्हें रखना सहेज कर
और देख लेना उन्हें
कभी अगर लगे कि जिंदगी बेरंग होने लगी है

वे रहेंगी तुम्हारे पास तो मेरी होली आती रहेगी

वाह....!!

लाजवाब अभिव्यक्ति .....!!

बहुत ही उम्दा छू लेने वाली रचना .....!!

सीधे दिल से निकले उदगार ....बहुत खूब ...!!

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर!
घुघूती बासूती

महुवा said...

ab tak ki sabse khubsurat rachna....!!!

ओम आर्य said...

aap sab ki pratikriyayen sar aankhon par,aap sab logon ne poori kavita ko hin anmol bana dala hai. waise meri sabse pasand ki pankti hai......

चौखटो ने रंग धोये नही
शाम तक इंतिज़ार किया तेरी आहटो का
हालांकि वे जानती थी कि तुम्हारा आ पाना होगा असंभव सा
तुम्हारी पैरों में कोई और ही दहलीज जो बंध गयी है

कंचन सिंह चौहान said...

हालांकि वे जानती थी कि तुम्हारा आ पाना होगा असंभव सा
तुम्हारी पैरों में कोई और ही दहलीज जो बंध गयी है

संवेदनशील.....!

स्वप्न मञ्जूषा said...

अच्छा लगता है ये सोंच कर कि
मेरे कुछ रंग तुम्हारे पास रहेंगे हमेशा
उन्हें रखना सहेज कर
और देख लेना उन्हें
कभी अगर लगे कि जिंदगी बेरंग होने लगी है
वे रहेंगी तुम्हारे पास तो मेरी होली आती रहेगी
bahut khoobsurat ...