जिसके उस पार जाने की लगातार कोशिश कर रहा है
एक एहसास
पर चीर कर पहुँच नही पा रहा.
जज्बों में धूप शायद उतनी तेज नही
कोहरे के उस पार
जीवन
दरवाजे के पल्ले भिडाये
कमर तक रजाईया लपेटे
इंतेज़ार कर रहा है किसी खटखटाहट का
दरअसल, उसी एहसास के दस्तक का.
सब कुछ कितना आसान सा है
पर नही मालूम क्यूँ
कुछ कोशिशें अपने कदम रोक लेती हैं,
या फिर कदम बढाने में बहुत वक़्त लगता है.
(यहाँ शायद यह बता देना जरूरी है कि ये कविता कभी जाडे के मौसम में लिखी गई थी.)
21 comments:
जज्बों में शायद धूप उतनी तेज नहीं, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
mujhe toh ab bhi aapki kavita ne jaade ka ehsaas kara diya............
waah
waah
bahut khoob kavita !
धूप निकली है मुद्दतों के बाद...
गीले ज़ज़्बे सूखा रहे है हम...
बहुत अच्छी कविता... आप लगातार अच्छा लिख रहे है... बहुत बेहतर...
हाँ जाड़े वाली बात नही भी लिखते तो चलता... भाई हम आपके सीरीयस रीडर है... कुछ काम पाठकों पर छोड़ दीजिए...
बहुत शानदार लिखा है आपने। बहुत बहुत बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ek or khoobsurat ahsaas...koshish insaan jaha nakaam hai...uske aage bus khuda ka naam hai....
ओम जी, सुन्दर रचनायें,
बस हिन्दी लिपि को और सुधार करें।
बेहतरीन
दरवाजे के पल्ले भिडाये
कमर तक रजाईया लपेटे
इंतेज़ार कर रहा है किसी खटखटाहट का
खुश नुमा मौसम में लिखी लाजवाब रचना............बेजोड़ हैं आपके शब्द..........जज्बों की धुप में वो तेजी नहीं.......... दरवाजे भिडाये प्रतीक्षा करता है कोई.......... क्या खूब लिखा है
सुन्दर भाव भरी रचना.
आपकी कविता पढ कर एक शेर याद आ गया
एहसास मर न जाये तो इन्सान के लिये
काफ़ी है राह की इक ठोकर लगी हुई
लिखते रहिये
Koshishen nakaamyaab nahee...! Jab itne sab bloggers ne padha aur saraha...! Har jazbeme dhoop tez hai..!
http://kshama-bikharesitare.blogspot.com
kohre aur jajbato ka achha smmishran hai.
abhar
कुछ कोशिशें बिना कामयाब हुए बगैर रह जाती हैं,
या फिर कामयाब होने में बहुत वक़्त लगता है.
bahut badi sacchi ka bayan karti hai aapki kavita...
saarthak, sajeev....
badhai..
Behad sundar alfazon me dhalee rachana...!
कुछ कोशिशें बिना कामयाब हुए बगैर रह जाती हैं,
या फिर कामयाब होने में बहुत वक़्त लगता है.
sunder rachna, omji, uprokt panktion men se "bina" ya "bagair" ek shabd hata den.
ek sundar abhiwyakti........bhagawan kare aap apani jindagi me sahi disha me hamesha aage badhe huye kamyab howe
........jab kabhi bhi aapane yah rachana likhi hai .....par sundar abhiwyakti hai.....aabhar
Yogesh Ji, Dhanyawaad..correction ke liye..aur maine thoda jyada hin correction kar diya hai. aap dekh sakte hain.
Aapke pita jee ka dehant ho gaya, Mata-pita ke dehant ke baad vyakti 'Beta' nahi rah jaata hai. yah dukh ki baat hai..
गर्मी के मौसम में पढ़ कर भी अच्छा लगा. सुंदर रचना के लिए धन्यवाद.
बेहद खूबसूरत रचना...अब तो सर्दी का इन्तजार होने लगा इसे पढ़कर
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .पहला कदम मुश्किल होता है ,वह एहसास का ही क्यूँ न हो .मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ।
garmi mein aksar jada yad ata hai, is tipani ke sath, ki yeh garmi se vehtar
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