इस कायनात के
बहुत सारी चीजों में से
कुछ चीजें ऐसी हैं
जो कभी कर देती है खुश और
कभी उदास, वही चीजें
वे चीजें करीब होती हैं दिल के
इतने करीब कि
निकलती हैं साँसों को छूते हुए
मोहल्ले के चौराहे से
निकलती थी जो राह तुम्हारे घर के लिए
उन पर अक्सर अपने ख्वाबों को चलते देखा है
उस बरगद के नीचे अक्सर बैठी मिल जाती है मेरी छाँव
जो तुम्हारे स्कूल के रास्ते में पड़ाव था
गर्मी की दुपहरी में
मिल जाते हैं मन के झूले
उस आम के पेड़ से झूलते हुए
जहाँ झूला करती थी अपनी सहेलियों के साथ तुम
और ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास
बहुत सारी चीजों में से
कुछ चीजें ऐसी हैं
जो कभी कर देती है खुश और
कभी उदास, वही चीजें
वे चीजें करीब होती हैं दिल के
इतने करीब कि
निकलती हैं साँसों को छूते हुए
मोहल्ले के चौराहे से
निकलती थी जो राह तुम्हारे घर के लिए
उन पर अक्सर अपने ख्वाबों को चलते देखा है
उस बरगद के नीचे अक्सर बैठी मिल जाती है मेरी छाँव
जो तुम्हारे स्कूल के रास्ते में पड़ाव था
गर्मी की दुपहरी में
मिल जाते हैं मन के झूले
उस आम के पेड़ से झूलते हुए
जहाँ झूला करती थी अपनी सहेलियों के साथ तुम
और ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास
29 comments:
और ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास
बहुत खूबसूरत भाव चित्र ओम भाई। गहरी बात। वाह
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
गर्मी की दुपहरी में
मिल जाते हैं मन के झूले
उस आम के पेड़ से झूलते हुए
जहाँ झूला करती थी अपनी सहेलियों के साथ तुम
और ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास
सच में ये पंक्ति इतनी सशक्त तरीके से अपने आपको प्रस्तुत कर रही है के कुछ कहते नहीं बन रहा है
बिल्कुल सही .. बहुत सुंदर भाव !!
गर्मी की दुपहरी में
मिल जाते हैं मन के झूले
उस आम के पेड़ से झूलते हुए
जहाँ झूला करती थी अपनी सहेलियों के साथ तुम
sahi kuch yaadein bahut kareeb hoti hai dil ke,sunder rachana.
ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
चंद कलियाँ निशात की चुनकर
मुद्दतो महवेयास रहता हूँ
तुमसे मिलना खुशी की बात सही
तुमसे मिलकर उदास रहता हूँ
--- साहिर लुधियानवी
निकलती थी जो राह तुम्हारे घर के लिए
उन पर अक्सर अपने ख्वाबों को चलते देखा है
लाजवाब...क्या बात कही है...
नीरज
गर्मी की दुपहरी में
मिल जाते हैं मन के झूले
उस आम के पेड़ से झूलते हुए
जहाँ झूला करती थी अपनी सहेलियों के साथ तुम
और ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
bahut sundar
और ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास...
बहुत खूबसूरत भाव.
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति
nikalti thi jo raah tumhare ghar ke liye
un par aksar apne khwabon ko chlte dekha hai
poori rachna ki jaan ban gayi hain ye panktiyan.bahut badhiya.
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर भाव से गुथी हुई पंक्तियाँ
जिसमे यादे झुले झुल रहे है .........इन यादो से पैदा हुई भाव बहुत ही सुन्दर है ......एक सुन्दर रचना के लिये बधाई
मोहल्ले के चौराहे से
निकलती थी जो राह तुम्हारे घर के लिए
उन पर अक्सर अपने ख्वाबों को चलते देखा है
Vaah... man ko choo liyaa in panktiyon ko .... aksar kabhi kabhi deevaanepan mein insaan pratiskhaa kartaa hai chip chip kar unke ghar ke aas paar aur fir door tak jaata hai saath.....
Aise hi pal sachmuch kabhi khush aur kabhi uds kar jater hain.... saarthsk, jivit pal hain aapki kavitaa mein...
खुशी यूँ भी मुझे ढूँढा करती है....
बहुत ही सुन्दर रचना लाजवाब !
बहुत सुंदर ॐ भाई कितनी सुन्दरता से आप ने भावो की प्रवहता को व्यक्त किया है अतुलनीय है
उस बरगद के नीचे अक्सर बैठी मिल जाती है मेरी छाँव
जो तुम्हारे स्कूल के रास्ते में पड़ाव था
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
ओम जी,
सुन्दर अभिव्यक्ती, यादों के दायरे में सिमटे हुये उन अप्रतिम पलों कि जिन की महक अक्सर तनहाईयों में भिगो जाती है।
सुन्दर चित्रण और प्रतीकों का प्रयोग।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
गर्मी की दुपहरी में
मिल जाते हैं मन के झूले
उस आम के पेड़ से झूलते हुए
जहाँ झूला करती थी अपनी सहेलियों के साथ तुम
...apne to purani yadon men dubo diya. ab nahin puchh baithiyega ki kiski !!
भावनाओं का सागर परोसा है आपने
मोहल्ले के चौराहे से
निकलती थी जो राह तुम्हारे घर के लिए
उन पर अक्सर अपने ख्वाबों को चलते देखा है
===
काश उस राह पर कुछ दूर चल लेते.
बहुत सुन्दर रचना
ऐसी ही कुछ और चीजे बहुत करीब हैं दिल के
जो कभी करती रहती है खुश और कभी उदास
सही कहा और खूबसूरती से कहा ।
ऐसा लगा जैसे कुछ छूट गया हो। भाव जगाने के लिए आभार।
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