साहिल समंदर के बाजू में बैठा
लहरों का इंतेज़ार करता रहता है
समंदर चाँद को छूने की आजमाइश में
किनारे पे बौछार करता रहता है
चाँद रात की मलमली विस्तर पे
रौशनी का मनुहार करता रहता है
उजाला कायनात के जर्रे-जर्रे में जा कर
अंधेरे को प्यार करता रहता है
तमस हर शाम अपनी ठंढई से
सूरज का स्रिन्गार करता रहता है.
हर शाम सूरज सिर रख कर सोने के लिए
साहिल की गोद का इंतेज़ार करता रहता है.
24 comments:
ओमजी हमेशा की तरह आपकी सुन्दर रचना प्रकृ्ति को मैं आप सब से जोड कर शब्दों मे ऐसे पिरोया है कि रचना प्रवाह्मय हो कर चली है बौत बहुत बधाई
नदिया सीचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा सबको बाँटे काम
ly baddh rchna-vaah.
behtareen rachna
बहुत ही सुन्दर शब्दों में व्यक्त बेहतरीन अभिव्यक्ति बधाई ।
सुन्दर रचना.
बहुत बढ़िया !
इसे कहते हैं जान डाल देना !
चाँद रात की मलमली विस्तर पे
रौशनी का मनुहार करता रहता है
उजाला कायनात के जर्रे-जर्रे में जा कर
अंधेरे को प्यार करता रहता है
waah nihayat khubsurat,aaj to tabiyat chand chand ho gayi,sunder atiunder.
वाह कोमल एहसास से भरी रचना..........प्रकृति के सभी आभूषणों को जोड़ कर लिखी अनुपम कृति है...... आपको पढना हमेशा ही सुखद एहसास देता है.......... नया पं लिए होती है आपकी हर रचना
अच्छा लिखा है.
...पर अँधेरे से उजाले का प्यार
साजिश भी तो हो सकता है न ?
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
चाँद रात की मलमली विस्तर पे
रौशनी का मनुहार करता रहता है
bahut hi sundar!!
वाह !!! बहुत बहुत सुन्दर.....
बड़े सुन्दर बिम्ब प्रयोग किये हैं आपने ......
हर शाम सूरज सिर रख कर सोने के लिए
साहिल की गोद का इंतेज़ार करता रहता है.
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इन पंक्तियो का विश्लेश्न करो तो इसमे बहुत ही गहरी बाते छिपी हुई है .......जैसे सुर्य की विशालकायता और क्षमता दोनो ही कई लाख गुना है साहिल के सामने ....पर उसे फिर साहिल का इंतजार करता रहता है शायद यह प्यार ही है जो सुरज करता है साहिल से .......वरना दुनिया मे क्षमता और आकार बहुत ही मायने रखता है ........प्यार ही शायद हर तरह की दूरियो को मिटा देती है जिसे एक प्यार करने और प्यार पाने वाला ही समझ सकता है अन्यथा यह एक ख्याली बात ही लगती है.
bahut dinon baad aapko padhaa.....
aanand aagaya
achhi rachna____badhaai !
अच्छी रचना और संध्या जी का सुंदर विश्लेषण...
अच्छी रचना ..बधाई.
हर शाम सूरज सिर रख कर सोने के लिए
साहिल की गोद का इंतेज़ार करता रहता है.
प्रकृति का मानवीकरण है आपकी रचना में...खूबसूरत अंदाज
हर शाम सूरज सिर रख कर सोने के लिए
साहिल की गोद का इंतेज़ार करता रहता है. ....fir wahi sham fir entjaar.....
waffa karne ki aadat thi so hum karte rahe sabse
kisi matlab se ya inaam ke badle nahin ki thi
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bas ik kaunda-sa lapka aur kheera[andhera] ho gayi aankhein
teri zanib nazar humne irade se nahin ki thi
साहिल समंदर के बाजू में बैठा
लहरों का इंतेज़ार करता रहता है
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बेहतरीन रचना. भावनाओ को पिरोने मे आप माहिर है
इस शानदार और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ! आपकी हर एक रचना मुझे बेहद पसंद है!
अच्छे बिम्बों वाली एक सुंदर रचना !
हर शाम सूरज सिर रख कर सोने के लिए
साहिल की गोद का इंतेज़ार करता रहता है.
खुबसुरत इन्तजार
साहिल की गोद में जब सूरज आ कर सो गया
सोने से पहले ही तमस ने उसका मुँह भी धो दिया...
तमस को बुलाया था रोशनी ने जान देकर
रोशनी को रोया चाँद ठंडी चादर लेकर...
चाँद को सहलाया समन्दर ने आगोश में लेकर
और तब सूरज चल पडा चाँद को सहिल की गोद देकर.....
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