Wednesday, September 9, 2009

तेरे इश्क में

मैं हूँ अभी
इतना गतिमान
कि हूँ न्युटन के गति नियमों से परे
और इतना निरपेक्ष
कि आइंस्टीन है स्तब्ध.

मैं हूँ अभी
तेरे इश्क में.

42 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत खूब निशब्द हूँ प्रेम की इस अभिव्यक्ति पर प्रेम हर सोच से परे है किसी अवधारणा मे कहां कैद हो सकता है आप लाजवाब लिखते हैं शुभकामनायें

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह..बहुत सुंदर...भाव को व्यक्त करने मे कोई जोड़ नही आपका..
कहाँ कहाँ से विचार ढूढ़ लाते है..
सुंदर प्रस्तुति..बधाई!!!

डिम्पल मल्होत्रा said...

main abhi hun tere ishq me.......espe to kuchh nahi kaha ja sakta...apki kavita pe comment dena easy nahi hota...kaha ho tum jaha apni khabar nahi tumko...

Mithilesh dubey said...

वाह बहुत सुंदर......

सागर said...

विज्ञान से रिलेटेड एक कविता मैंने भी लिखी थी ... (जाहिर है कोई कमेन्ट नहीं आया था) ...

भौतिकी का सच के नाम से.... यहाँ पेश करता हूँ

आसमान में चमकते थे
दो तारे एक साथ
एक मुखर था; दूसरा मद्धम
नियमित समय पर उग आते दोनों
विपरीत आवेश वाले थे
मद्धम वाला सितारा अब टिमटिमाने लगा था

... परस्पर प्रेम उपज आया

वक़्त बदला,
अत्यधिक निकटता से आने लगा
दोनों में सामान आवेश

नाभिक में विकर्षण होने लगा...

आजकल दोनों ध्रुवों पर उगते है
अब
आसमान का संतुलन बना रहता है!!!

विद्वान इसे आजकल फिजिक्श का पाठ्यक्रम बताते हैं...

..... बहरहाल आपकी कविता अच्छी है, ओम भाई...

दिगम्बर नासवा said...

VAAH ....... MOUN HUN IN PANKTIYON PAR ....... SACH KAHA JAB INSAAN PYAAR KI, PREM KE BANDHAN KI GIRAFT MEIN HOTA HAI TO SCIENCE KE SIDHAANT BHI KAAM NAHI KARTE .... LAJAWAAB ABHIVYAKTI.....

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर लाजवाब प्रस्‍तुति, बधाई

vandana gupta said...

वाह ……………एक अलग ही नज़रिये को दर्शाती रचना …………प्रेम का एक स्वरूप ऐसा भी।

vikram7 said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Mishra Pankaj said...

बहूत सुन्दर ओम भई
ओम भाई न्युटम के तीनो नियमो पर भी कविता लिखिये :)

Vinay said...

वाह इश्क़ से आन्सटाइन तक

आनन्द वर्धन ओझा said...

आपकी यह कणिका, आइन्स्टीन की नहीं जानता, मुझे स्तब्ध करती है ! क्या कहूँ निस्तब्ध हूँ ! बस एक शब्द-- अद्भुत !!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Chamatkrit karne waali kavita.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

नीरज गोस्वामी said...

कम शब्दों में क्या से क्या कह जाते हैं आप...कमाल करते हैं...वाह
नीरज

Dr. Amarjeet Kaunke said...

वाह....मोहब्बत का विलक्षण अहसास दिल को छू गया.....

chandan said...

behtarin.............sahi me kya khoob likha hai aapne...

अमिताभ श्रीवास्तव said...

are waah ye to bahut badhiya likh diya ji aapne/
me hu abhi tere ishq me..
sundar tarike se aour vah bhi vegyanik reeti se dhhaale gaye shbdo me rachi gai chand line..waah janaab..waah/

कडुवासच said...

... bahut khoob / short & sweet !!!

प्रवीण said...

.
.
.
बहुत खूब लिखा है ओम,
पर जो विज्ञान के विद्यार्थी नहीं रहे हैं वो तुम्हारी उपमाओं के आनंद से वंचित ही रहेंगे, उनके लिये न्यूटन के नियमों व आइन्सटीन के सापेक्षता के सिद्धान्त का एक लिंक दे देते तो बेहतर था।

अपूर्व said...

bhai..that's why even Einstein himself accepted that
'How on earth are you ever going to explain in terms of chemistry and physics so important a biological phenomenon as first love?'

..a truly relativistic poetry
..congtrats.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

बल्ले बल्ले क्या कैमिस्ट्री है

रश्मि प्रभा... said...

is ishk ka n pucho haal, bas yahi rahta hai har pal saath

Saba Akbar said...

वाह ओम भाई, ऐसी उपमाएं सिर्फ आप ही दे सकते हैं...

बहुत सुन्दर

Meenu Khare said...

बहुत सुन्दर विज्ञान कविता.सुंदर प्रस्तुति..बधाई!!!

Vipin Behari Goyal said...

अति सुंदर प्रयोग

Urmi said...

आपकी छोटी सी प्यारी सी सुंदर कविता मुझे बेहद पसंद आया! वैसे आपकी हर एक कविता प्रशंग्सनीय है!

Prem Farukhabadi said...

bahut hi behtar kaha hai .badhai!!

दर्पण साह said...

right said 'apoorva', for the post.
Om ji 'apoorva bhia ki tippani meri bhi maan lijiyea.

अनिल कान्त said...

कहाँ कहाँ से विचार ढूढ़ लाते हैं आप....बहुत खूब

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

saare scintific formulas fail kar diye aapne om ji ;-)
bahut he sundar rachna...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपकी कल्पना शक्ति से कभी कभी ईर्ष्या होने लगती है। बहुत अच्छा लिखते हैं आप।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

ishq mein waaqai meinaisa hi hota hai....... saare principles aur law sab dhare rah jaate hain......

aap nishabd kar dete hain...... apni kavita se...... aapka lekhan ultimate hai.....

hats off.......






(Deri se aane ke liye muaafi chahta hoon....)

Aruna Kapoor said...

कल्पना के नाजुक पंखो से उड़कर आसमान को छुआ जा सकता है!.. एक अति सुंदर रचना!

Renu goel said...

प्रेम , विज्ञानं और कविता ...वह क्या अध्बुत संगम किया आपने ॐ जी ...एक प्रयाग यहाँ भी !

harish said...

प्रेम सारे नियमो से परे है फिर न्यूटन क्या चीज़ है ....

मुकेश कुमार तिवारी said...

ओम जी,

प्रेम/इश्क/मोहब्बत को अब एक केमिकल लोचा तो माना जाना लगा है लेकिन आपने उसे जरा हट के विज्ञान से परे प्रतिपादित किया है।

कमाल का नज़रिया और अद्भुत रचना-शिल्प।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

Yogesh Verma Swapn said...

om ji, gagar men sagar , nahin duniya sametna koi aapse seekhe.

bahut khoob , badhai. aur wah wah wah.

Kulwant Happy said...

कुछ शब्दों में बहुत बड़ी बात कह गए..मौन के खाली में आर्य जी...

bhootnath said...

अरे भाई ॐ....!!...इए किया कर रिये हो यार...जान लोगे क्या हमारी....इतना स्तब्धकारी मत लिखो भाई....!!

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

Bhai Om Ji,
aap me itna jwar hai bhavna ka ki uske pravah se koi bach nahi sakta ,aapki kavitayen chooti hai mun ko .
meri mangalkamnayen,sneh,dhanyavaad.
aapka hi,
dr.bhoopendra

Chandan Kumar Jha said...

प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति । हमें भी इश्क हो रहा है आपकी रचनाओ से । शुभकामनायें ।

sandhyagupta said...

Anuthi rachna hai.Shubkamnayen.