main abhi hun tere ishq me.......espe to kuchh nahi kaha ja sakta...apki kavita pe comment dena easy nahi hota...kaha ho tum jaha apni khabar nahi tumko...
VAAH ....... MOUN HUN IN PANKTIYON PAR ....... SACH KAHA JAB INSAAN PYAAR KI, PREM KE BANDHAN KI GIRAFT MEIN HOTA HAI TO SCIENCE KE SIDHAANT BHI KAAM NAHI KARTE .... LAJAWAAB ABHIVYAKTI.....
are waah ye to bahut badhiya likh diya ji aapne/ me hu abhi tere ishq me.. sundar tarike se aour vah bhi vegyanik reeti se dhhaale gaye shbdo me rachi gai chand line..waah janaab..waah/
. . . बहुत खूब लिखा है ओम, पर जो विज्ञान के विद्यार्थी नहीं रहे हैं वो तुम्हारी उपमाओं के आनंद से वंचित ही रहेंगे, उनके लिये न्यूटन के नियमों व आइन्सटीन के सापेक्षता के सिद्धान्त का एक लिंक दे देते तो बेहतर था।
bhai..that's why even Einstein himself accepted that 'How on earth are you ever going to explain in terms of chemistry and physics so important a biological phenomenon as first love?'
Bhai Om Ji, aap me itna jwar hai bhavna ka ki uske pravah se koi bach nahi sakta ,aapki kavitayen chooti hai mun ko . meri mangalkamnayen,sneh,dhanyavaad. aapka hi, dr.bhoopendra
42 comments:
बहुत खूब निशब्द हूँ प्रेम की इस अभिव्यक्ति पर प्रेम हर सोच से परे है किसी अवधारणा मे कहां कैद हो सकता है आप लाजवाब लिखते हैं शुभकामनायें
वाह..बहुत सुंदर...भाव को व्यक्त करने मे कोई जोड़ नही आपका..
कहाँ कहाँ से विचार ढूढ़ लाते है..
सुंदर प्रस्तुति..बधाई!!!
main abhi hun tere ishq me.......espe to kuchh nahi kaha ja sakta...apki kavita pe comment dena easy nahi hota...kaha ho tum jaha apni khabar nahi tumko...
वाह बहुत सुंदर......
विज्ञान से रिलेटेड एक कविता मैंने भी लिखी थी ... (जाहिर है कोई कमेन्ट नहीं आया था) ...
भौतिकी का सच के नाम से.... यहाँ पेश करता हूँ
आसमान में चमकते थे
दो तारे एक साथ
एक मुखर था; दूसरा मद्धम
नियमित समय पर उग आते दोनों
विपरीत आवेश वाले थे
मद्धम वाला सितारा अब टिमटिमाने लगा था
... परस्पर प्रेम उपज आया
वक़्त बदला,
अत्यधिक निकटता से आने लगा
दोनों में सामान आवेश
नाभिक में विकर्षण होने लगा...
आजकल दोनों ध्रुवों पर उगते है
अब
आसमान का संतुलन बना रहता है!!!
विद्वान इसे आजकल फिजिक्श का पाठ्यक्रम बताते हैं...
..... बहरहाल आपकी कविता अच्छी है, ओम भाई...
VAAH ....... MOUN HUN IN PANKTIYON PAR ....... SACH KAHA JAB INSAAN PYAAR KI, PREM KE BANDHAN KI GIRAFT MEIN HOTA HAI TO SCIENCE KE SIDHAANT BHI KAAM NAHI KARTE .... LAJAWAAB ABHIVYAKTI.....
बहुत ही सुन्दर लाजवाब प्रस्तुति, बधाई
वाह ……………एक अलग ही नज़रिये को दर्शाती रचना …………प्रेम का एक स्वरूप ऐसा भी।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बहूत सुन्दर ओम भई
ओम भाई न्युटम के तीनो नियमो पर भी कविता लिखिये :)
वाह इश्क़ से आन्सटाइन तक
आपकी यह कणिका, आइन्स्टीन की नहीं जानता, मुझे स्तब्ध करती है ! क्या कहूँ निस्तब्ध हूँ ! बस एक शब्द-- अद्भुत !!
Chamatkrit karne waali kavita.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कम शब्दों में क्या से क्या कह जाते हैं आप...कमाल करते हैं...वाह
नीरज
वाह....मोहब्बत का विलक्षण अहसास दिल को छू गया.....
behtarin.............sahi me kya khoob likha hai aapne...
are waah ye to bahut badhiya likh diya ji aapne/
me hu abhi tere ishq me..
sundar tarike se aour vah bhi vegyanik reeti se dhhaale gaye shbdo me rachi gai chand line..waah janaab..waah/
... bahut khoob / short & sweet !!!
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बहुत खूब लिखा है ओम,
पर जो विज्ञान के विद्यार्थी नहीं रहे हैं वो तुम्हारी उपमाओं के आनंद से वंचित ही रहेंगे, उनके लिये न्यूटन के नियमों व आइन्सटीन के सापेक्षता के सिद्धान्त का एक लिंक दे देते तो बेहतर था।
bhai..that's why even Einstein himself accepted that
'How on earth are you ever going to explain in terms of chemistry and physics so important a biological phenomenon as first love?'
..a truly relativistic poetry
..congtrats.
बल्ले बल्ले क्या कैमिस्ट्री है
is ishk ka n pucho haal, bas yahi rahta hai har pal saath
वाह ओम भाई, ऐसी उपमाएं सिर्फ आप ही दे सकते हैं...
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर विज्ञान कविता.सुंदर प्रस्तुति..बधाई!!!
अति सुंदर प्रयोग
आपकी छोटी सी प्यारी सी सुंदर कविता मुझे बेहद पसंद आया! वैसे आपकी हर एक कविता प्रशंग्सनीय है!
bahut hi behtar kaha hai .badhai!!
right said 'apoorva', for the post.
Om ji 'apoorva bhia ki tippani meri bhi maan lijiyea.
कहाँ कहाँ से विचार ढूढ़ लाते हैं आप....बहुत खूब
saare scintific formulas fail kar diye aapne om ji ;-)
bahut he sundar rachna...
आपकी कल्पना शक्ति से कभी कभी ईर्ष्या होने लगती है। बहुत अच्छा लिखते हैं आप।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ishq mein waaqai meinaisa hi hota hai....... saare principles aur law sab dhare rah jaate hain......
aap nishabd kar dete hain...... apni kavita se...... aapka lekhan ultimate hai.....
hats off.......
(Deri se aane ke liye muaafi chahta hoon....)
कल्पना के नाजुक पंखो से उड़कर आसमान को छुआ जा सकता है!.. एक अति सुंदर रचना!
प्रेम , विज्ञानं और कविता ...वह क्या अध्बुत संगम किया आपने ॐ जी ...एक प्रयाग यहाँ भी !
प्रेम सारे नियमो से परे है फिर न्यूटन क्या चीज़ है ....
ओम जी,
प्रेम/इश्क/मोहब्बत को अब एक केमिकल लोचा तो माना जाना लगा है लेकिन आपने उसे जरा हट के विज्ञान से परे प्रतिपादित किया है।
कमाल का नज़रिया और अद्भुत रचना-शिल्प।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
om ji, gagar men sagar , nahin duniya sametna koi aapse seekhe.
bahut khoob , badhai. aur wah wah wah.
कुछ शब्दों में बहुत बड़ी बात कह गए..मौन के खाली में आर्य जी...
अरे भाई ॐ....!!...इए किया कर रिये हो यार...जान लोगे क्या हमारी....इतना स्तब्धकारी मत लिखो भाई....!!
Bhai Om Ji,
aap me itna jwar hai bhavna ka ki uske pravah se koi bach nahi sakta ,aapki kavitayen chooti hai mun ko .
meri mangalkamnayen,sneh,dhanyavaad.
aapka hi,
dr.bhoopendra
प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति । हमें भी इश्क हो रहा है आपकी रचनाओ से । शुभकामनायें ।
Anuthi rachna hai.Shubkamnayen.
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